गोरखपुर (ब्यूरो).दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने ट्वीटर पर चार सवालों को पोल किया। इसमें पहला सवाल आरटीए के इस डिसीजन पर था कि एक ई-रिक्शा में चार सवारी बैठाई जाए। इसमें हिस्सा लेने वाले 83 फीसद लोगों का मानना है कि चार सवारी बैठाए जाने का फैसला बिल्कुल सही है। वहीं कुछ लोगों ने एक सवारी आगे बैठाने को लेकर भी सजेशन दिए। इसके अलावा 15 परसेंट लोगों ने इस फैसले को गलत भी माना है। दो परसेंट लोग इस मामले में अपनी राय नहीं बता सके और उन्होंने कह नहीं सकते के ऑप्शन को चुना है।

आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस जिम्मेदार

19 रूट तय होने के बाद भी हर रूट पर सभी ई-रिक्शा के संचालन से जुड़े सवाल के जवाब में 50 परसेंट लोगों ने ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ के लचर और लापरवाह रवैये को जिम्मेदार माना है। लोगों का कहना है कि जब रूट तय किए जा चुके हैं और इस पर मुहर लग चुकी है तो अब जिम्मेदार कार्रवाई से क्यों कतरा रहे हैं। पोल में रिक्शा ड्राइवर, आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस और पैसेंजर्स को भी जिम्मेदार बताया है। इस जवाब पर सहमति देने वालों की संख्या 45 फीसद है। 5 परसेंट लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने पैसेंजर को भी जिम्मेदार माना है। अगर पैसेंजर ही विरोध करना शुरू कर दें तो काफी हद तक समस्या का हल मिल सकता है।

कार्रवाई से पहले करें अवेयर

लोगों से सवाल किया गया कि निर्धारित रूट पर ई-रिक्शा चले, इसके लिए जिम्मेदारों को क्या करना चाहिए। इस सवाल पर दिए जवाबों में 30 फीसद लोगों ने माना है कि सबसे पहले ई-रिक्शा ड्राइवर्स और लोगों को इस रूल को लेकर अवेयर किया जाए। वहीं 28 परसेंट मानते हैं कि गलत रूट पर चलने वाले ई-रिक्शा का चालान करने से समस्या सॉल्व हो सकती है। 20 परसेंट लोगों का कहना है कि रांग रूट पर इन ई-रिक्शा को सीज कर दिया जाए, जबकि 22 परसेंट लोग अब भी मॉनीटरिंग कर कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

कलर कोड तय कर हो रूट की पहचान

रूट की पहचान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में लोगों ने बताया कि सबसे पहले रूट्स जो निर्धारित हैं उनके कलर कोड तय किए जाएं और फिर इस रूट पर चलने वाले ई-रिक्शा को वह कलरकोड फॉलो करने के लिए मोटीवेट किया जाए। इससे जहां लोगों को ई-रिक्शा करने आसानी होगी, वहीं जिम्मेदारों को भी मॉनीटरिंग करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 27 परसेंट लोगों ने साइन बोर्ड लगाने का भी सजेशन दिया है। जबकि 17 परसेंट लोगों ने अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने की बात की है। हेल्पलाइन नंबर जारी करने के पक्ष में सिर्फ 7 फीसद लोग ही हैं।

सवाल - ई-रिक्शा में चार सवारी बैठाने का निर्णय आपकी नजर में कैसा है?

सही - 83 परसेंट

गलत - 15 परसेंट

कह नहीं सकते - 2 परसेंट

19 रूट तय होने के बाद भी हर रूट पर ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

रिक्शा ड्राइवर - 00 परसेंट

आरटीओ-ट्रैफिक पुलिस - 50 परसेंट

पैसेंजर - 5 परसेंट

उपरोक्त सभी - 45 परसेंट

निर्धारित रूट पर ई-रिक्शा चले इसके लिए क्या कहना चाहिए?

गलत रूट पर चालान करें - 28 परसेंट

रांग रूट पर सीज करें - 20 परसेंट

मॉनीटरिंग करें - 22 परसेंट

अवेयर करें - 30 परसेंट

रूट की पहचान के लिए क्या करें?

कलर कोड तय करें - 49 परसेंट

साइन बोर्ड लगाएं - 27 परसेंट

पब्लिक को अवेयर करें - 17 परसेंट

हेल्पलाइन नंबर जारी करें - 7 परसेंट

ट्वीट -

अभिषेक त्रिपाठी - सबसे पहले ई-रिक्शा वालों को ई-रिक्शा चलाना सिखाना चाहिए। इतने खराब ढंग से चलाते हैँ कि अब तो इनके पीछे गाड़ी चलाने में डर लगता है। कब कहां रोक दें, कब मोड़ दें कोई ठिकाना नहीं है।

प्रसून त्रिपाठी - गोरखपुर में ई-रिक्शा वाले मानने वाले नहीं हैं।

गोरखपुर संवाद - 5 करना चाहिए। 2-2 आमने-सामने और एक ड्राइवर की बाईं तरफ।