- सड़क हादसों में हर महीने हों रहीं 100 से अधिक मौतें

- हैवी गाडि़यां ले रहीं जान, प्रशासन अंजान

GORAKHPUR: बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम लगाने को ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट लगातार सख्त नियम बना रहा है लेकिन इसके बाद भी सड़क हादसों में रोजाना ही लोगों की जान जा रही है। गोरखपुर की बात करें तो बीते सात महीनों में ही विभिन्न जगहों पर हुए सड़क हादसों में 724 मौतें हुई हैं। आरटीओ के आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक गोरखपुर में हर महीने 100 से अधिक और हर दिन 3-4 लोग सड़क हादसे में जान गंवा रहे हैं। इन मौतों के लिए कहीं ना कहीं सिस्टम की उदासीनता भी जिम्मेदार हैं जिसकी वजह से हर दिन सड़कें लाल हो रही हैं।

जानलेवा बनती जा रहीं हैवी गाडि़यां

शहर में इन दिनों सड़क पर सबसे अधिक मौत की वजह हैवी गाडि़यां बन रही हैं। आए दिन ट्रक की ठोकर से मौत होने की सूचना जगह-जगह से आती रहती है। ट्रक, कैंटर और ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़कों पर बेतरतीब चलते हैं जिसकी वजह से इन गाडि़यों की चपेट में राहगीर आ जाते हैं। सड़कों पर बेखौफ दौड़ रही इन गाडि़यों की रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए आरटीओ के जिम्मेदार भी कुछ नहीं करते। जिसकी वजह से ये जानलेवा हैवी गाडि़यां आए दिन सड़कों पर लोगों की जान ले रही हैं।

आराम से जारी हो जा रहा हैवी लाइसेंस

गोरखपुर आरटीओ में हैवी लाइसेंस बनाने के लिए कोई नियम-कायदा नहीं चलता। बड़े आराम से यहां पर हैवी गाडि़यों को चलाने की परमिशन दे दी जाती है। जबकि हैवी वाहनों को चलाने वाले एक्सपर्ट हैं कि नहीं इसकी ठीक से जांच होनी चाहिए। लेकिन आरटीओ के पास इतनी जगह ही नहीं है कि वे ट्रक या हैवी गाडि़यों का चलवाकर चेक कर सकें। इस वजह से नौसीखिए भी हैवी गाडि़यां खुलेआम चला रहे हैं।

शहर के अंदर नो इंट्री में आती गाडि़यां

शहर के अंदर हैवी गाडि़यों के आने के लिए समय तय है। इसके बाद भी शहर के कई एरियाज में दिनभर हैवी गाडि़यां धड़ल्ले से इंट्री कर फर्राटा भरती हैं। गोरखनाथ एरिया के ग्रीन सिटी में आधा दर्जन से अधिक स्कूल हैं इसके बाद भी यहां पर दिन भर ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रक का आना-जाना लगा रहता है। इस एरिया में कभी भी इन गाडि़यों की वजह से बड़ा हादसा हो सकता है।

गोरखपुर संभाग में नहीं रुक रहे हादसे

गोरखपुर संभाग में गोरखपुर समेत महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर जिला है। यहां सात महीने में 724 मौतें केवल सड़क हादसों में हुई हैं। यानि केवल अक्टूबर महीने में ही 70 लोग रफ्तार के कहर की भेंट चढ़ गए।

फैक्ट फिगर

बीते सात महीने में सड़क हादसों में मौतें - 724

हर महीने मौत - 100 से अधिक

हर दिन मौत -3-4

नोट-ये अप्रैल से अक्टूबर तक के आंकड़े हैं।

वर्जन

हादसों को रोकने के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम होते रहते हैं। कुछ इलाकों में नो इंट्री टाइम में भी हैवी वाहनों के चलने की कंप्लेन आ रही है। बहुत जल्द चेकिंग कर कार्रवाई की जाएगी।

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन