गोरखपुर (ब्यूरो)। ऐसे में सफर जानलेवा भी हो सकता हॅ। यात्री बसों की विंडो के शीशे टूटे होने की कंप्लेन कर भी रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

गोरखपुर रीजन में बसों की संख्या 700 से अधिक है। इनमें से अधिकतर बसों की विंडो के कांच टूटे हुए हैं। किसी-किसी विंडो में एक ही तरफ कांच लगे हैं, उचित देखभाल नहीं होने से विंडो बंद भी नहीं होती है। ऐसे में विंडो की तरफ बैठे पैसेंजर्स को हवा और ठंड झेलनी पड़ती है। सर्द हवाएं सीधे उनके कान और शरीर पर लगती हैं। जिससे सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, बॉडी में दर्द आदि अन्य समस्याएं की शिकायत भी आ रही हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में रोडवेज बसों की स्थितियों और पैसेंजर्स की बेबसी की पोल खुल गई।

केस-1: फ्रंट ग्लास ही क्षतिग्रस्त

रविवार दोपहर करीब 1 बजे रोडवेज बस (यूपी14एफटी8052) गोरखपुर से दिल्ली आनंद विहार जा रही थी। बस का आगे का कांच कांच टूटा था और शीशे जाम मिले। बस कंडक्टर से जब क्षतिग्रस्त कांच के बारे में बात की गई तो उसने कहा, इसके बारे में अधिकारियों को सूचना दे दी गई है। पर अभी तक किसी ने सुध नहीं ली।

केस-2: तार से बंधा था कांच

दोपहर करीब 1.20 बजे बस (यूपी53जीटी2018) गोरखपुर से कसया-पडऱौना जा रही थी। बस का कांच तार से बंधा हुआ था। वाइपर भी टूटा मिला। विंडो के शीशे जाम मिले। इस बारे में जब ड्राइवर से बात की गई तो उसने कहा कि अधिकारियों को सब पता है। आप उन्हीं से बात करें।

इन बसों की भी कंडीशन खराब

- यूपी 53 सीटी 2261-गोरखपुर-बस्ती-बांसी-ड्राइवर के साइड का शीशा टूटा मिला। साइड मिरर भी गायब रहा।

- यूपी 53 डीटी 2032-गोरखपुर-बांसी-बस्ती- इसके साइड वाले शीशों की जगह लकड़ी का प्लाइउंड लगा मिला। शीशे उखड़े हुए मिले।

कोट

लखनऊ जाने के लिए मैं गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन से बस में बैठा था। सीट के बगल का ही कांच टूटा था। इस वजह से काफी सर्दी लग रही थी।

रितेश श्रीवास्तव, पैसेंजर

रोडवेज की बसें भगवान भरोसे चल रही हैं। कांच टूटे हैं। कई जाम भी थे, जिन्हें बंद करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सीट भी बैठने लायक नहीं होती हैं।

रविंद्र कुमार सिंह, पैसेंजर

वर्जन

रोडवेज बसों की ज्यादातर बसों की विंडो के कांच बदले गए हैं। कुछ बसों के खिड़कियों के कांच टूटे या जाम हो चुके हैं। उन्हें भी जल्द से जल्द दुरुस्त करवा लिया जाएगा।

एके मिश्रा, एआरएम गोरखपुर