- लॉकडाउन में आवाजाही रुकने, गाडि़यां कम चलने और निर्माण कार्य रुकने से साफ हुई आबोहवा
- रेसिडेंशियल एरियाज में बड़ी राहत, इंडस्ट्रियल एरिया में पुअर क्वालिटी में है पॉल्युशन लेवल
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: कोरोना की सेकंड वेव को काबू करने के लिए लगाए गए कफ्र्यू ने जिंदगियों को कैद कर दिया। इससे एक बार जिंदगी बेपटरी होने लगीं, लेकिन इन सबके बीच कुछ पॉजिटिव बातें भी सामने आई हैं। जो शहर के लोगों और उनकी हेल्थ के लिए राहत भरी हैं। सबसे बड़ी राहत पॉल्युशन के मामले में मिली है, रेसिडेंशियल एरिया में लोगों को एटमॉस्फियरिक ऑक्सीजन की कमी नहीं हो रही। वजह सड़कों पर घटी गाडि़यों की संख्या और लॉकडाउन में घटी आवाजाही से रेसिडेंशियल इलाकों की आबोहवा स्वच्छ हुई है। जबकि कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज के एटमॉस्फियर में पॉल्युशन का ग्राफ नीचे आया है। वहीं इस बीच हुई बारिश से बचे पॉल्युटेड पार्टिकिल्स भी बैठ गए। ऐसे में अब ब्रीथ डिसकंफर्ट की प्रॉब्लम कुछ कम हुई है और सांस की दिक्कत भी दूर हुई है।
कंस्ट्रक्शन पर ब्रेक से मिली राहत
लॉकडाउन के दौरान कॉमर्शियल और रेसिडेंशियल एरिया में पॉल्युशन कम होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि इस पीरियड में कंस्ट्रक्शन पर ब्रेक था। सिर्फ उन लोगों को ही परमिशन थी जो मजदूरों के रहने की व्यवस्था कर पा रहे थे। ऐसे में कंस्ट्रक्शन न होने की वजह से आसमान में उड़ने वाले गर्द व गुबार भी नहीं निकले और हवा में भी पॉल्युटेड पार्टिकिल्स नहीं पहुंचे। इसकी वजह से रेसिडेंशियल और कॉमर्शियल एरिया में पॉल्युशन का ग्राफ नहीं बढ़ पाया।
गाडि़यों का कम करें यूज
शहर की आबोहवा में फैले पॉल्युशन की बात करें तो टोटल एयर पॉल्युशन का 68 फीसद हिस्सा सिर्फ गाडि़यों से निकलने वाले धुएं का होता है। इससे सबसे ज्यादा एयर क्वालिटी प्रभावित होती है, जो दमा और अस्थमा वाले मरीजों के लिए काफी खतरनाक है। वहीं दूसरे तरह के पॉल्युटेंट भी हवा में होते हैं, जिनमें प्लास्टिक या वेस्ट जलने से निकलने वाले पॉल्युटेंट के साथ ही फायर वर्क्स भी शामिल हैं।
इंडस्ट्रियल एरिया में हालात डैंजरस
कॉमर्शियल इलाकों में क्षणिक राहत मिली है। वहीं, इंडस्ट्रियल एरिया में लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो सकी हैं। इंडस्ट्रियल एरिया की हवाओं में अब भी पॉल्युशन का जहर घुला हुआ है। एमएमएमयूटी के साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र यादव की मानें तो जून में गीडा और इसके आसपास पॉल्युशन लेवल रेड जोन में था, वहीं बारिश के बाद इसमें थोड़ी सी कमी देखने को मिली है। वहीं कॉमर्शियल एरिया में भी एयर क्वालिटी की कंडीशन अच्छी नहीं कही जा सकती। लगातार सड़कों पर बढ़ रही गाडि़यों की संख्या पॉल्युशन के लिए परेशानी बनी हुई है।
चुकानी होगी सांस की कीमत
इंडस्ट्रियल एरिया में सांस लेना दूभर हो गया है। वहीं, शहर के कॉमर्शियल इलाकों में भी अच्छे नहीं कहे जा सकते। यहां तक कि शहर और इंडस्ट्रियल एरियाज के एटमॉस्फियर में काफी फर्क आ गया है। एमएमएमयूटी में रेसिडेंशियल, गोलघर में कॉमर्शियल और गीडा में इंडस्ट्रियल कैटेगरी के अनुसार पॉल्युशन मापा गया। पॉल्युशन विभाग के अप्रैल, मई और जून के आंकड़े इस बात को पुख्ता कर रहे हैं। जहां पीएम-10 मानक से दोगुना हो चुका है, वहीं एयर क्वालिटी इंडेक्स भी मॉडरेट जोन में है। इसकी वजह से लोगों की मुश्किलें अब तक कम नहीं हो सकी हैं। पिछले चार महीनों की बात करें तो आंकड़े एलार्मिग हैं, अगर अब भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी सिटी भी दिल्ली, कानपुर, वाराणसी, आगरा की तरह पॉल्युटेड सिटी की कैटेगरी में होगी और हमें हर सांस की कीमत चुकानी पड़ेगी।
आरएसपीएम सबसे ज्यादा
- इन पॉल्युटेड एरियाज में रेस्पिरेटरी सस्पेंडेट पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) की मात्रा मानक से काफी ज्यादा है।
- इससे सबसे ज्यादा परेशानी हार्ट और अस्थमा के पेशेंट्स को हो रही है।
- वहीं, छोटे नन्हें मासूम भी पॉल्युशन का शिकार हो रहे हैं।
- पॉल्युटेंट आरएसपीएम के फॉर्म बॉडी में एंटर कर जा रहे हैं, जिससे सांस लेने में परेशानी तो हो ही रही है।
- वहीं फेफड़ों पर भी इसका असर पड़ रहा है, जो कोरोना पीरियड में लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है।
- डॉक्टर्स की मानें तो इन एरियाज में बिना मास्क पहने एंट्री न करें, वरना परेशानी हो सकती है।
अप्रैल 2021
कैटेगरी - मात्रा
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई
आवासीय 156.23 01.21 03.98 137
कॉमर्शियल 248.91 03.98 12.98 199
इंडस्ट्रियल 368.85 30.51 51.85 324
मई 2021
कैटेगरी - मात्रा
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई
आवासीय 153.86 01.16 03.69 136
कॉमर्शियल 245.74 03.32 11.94 197
इंडस्ट्रियल 361.41 29.31 49.98 314
जून 2021
कैटेगरी - मात्रा
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई
आवासीय 77.22 5.54 1.79 88
कॉमर्शियल 212.73 4.88 14.54 175
इंडस्ट्रियल 303.12 27.55 46.33 253
क्या है मानक -
पीएम 10 - 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
एसओ2 - 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
एनओ2 - 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स -
0-50 - मिनिमम इंपैक्ट
51-100 - सेंसेटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम
101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत
201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम
301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी
401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट
इंडस्ट्रियल एरिया में पीएम-10 और एनओ2 मानक से ज्यादा हो गए हैं। इससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वहीं हार्ट और अस्थमा के पेशेंट्स को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए मास्क और हेलमेट का इस्तेमाल करें।
- प्रो। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट