गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर के महिला थाने में पहुंचने वाली शिकायतों में 20 परसेंट मामले पुरुषों द्वारा दर्ज कराए जा रहे हैं।
पिछले 6 माह में बढ़े केस घरेलू हिंसा या फिर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को लेकर न सिर्फ अक्सर बातें होती हैं, बल्कि कठोर कानून भी बने हैं, लेकिन इस घरेलू हिंसा का एक पक्ष यह भी है कि घरेलू हिंसा के पीडि़तों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी हैं। गोरखपुर महिला थाना प्रभारी अर्चना सिंह ने बताया, गोरखपुर में पुरुष शिकायतों के मामले 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
फैमिली डिस्प्यूट के प्रमुख कारण
- शादी से पूर्व का संबंध।
- जॉइंट फैमिली में रहने से परहेज।
- मां-बाप के दबाब में की गई शादी।
- शहरी परिवेश में बड़े होने के बाद गांव में की गई शादी।

केस-1: उलझ गया 7 साल का रिश्ता
रामगढ़ थाने में रहने वाले राहुल कुमार (काल्पनिक नाम) जिनकी शादी को 7 साल हो गए। इन 7 सालों में रिश्तों में बहुत प्यार था। 6 साल तक दोनों को कोई संतान नहीं थी। पिछले साल एक बेटी हुई। उसके बाद पत्नी का रवैया बदल गया। आए दिन मारपीट करती है। बच्ची को भी मारती है। पति शिकायत लेकर थाने पहुंचा, परिवार परामर्श केंद्र में काउंसिलिंग कराई गई, लेकिन विवाद अभी तक सुलझा नहीं है।

केस-2: 3 बच्चों की मां बोली- अब प्यार नहीं
गोरखपुर निवासी प्रकाश कुमार (काल्पनिक नाम) का एक हंसता खेलता परिवार था, पर पत्नी का दिल आ गया किसी और पर। पत्नी अब साथ नहीं रहना चाहती। सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इन आरोपों के बावजूद युवक अपनी पत्नी के साथ ही रहना चाहता है। काउंसिलिंग कराई गई लेकिन विवाद अभी भी सुलझ नहीं सका है।

केस-3: बेटा सुने किसकी मां की या बीवी की
शाहपुर निवासी शिवम पाण्डेय अपने मां-बाप की इकलौती संतान हैं। कुछ दिन पहले बहुत धूमधाम से शादी हुई। मां भी खुश थी कि बेटे का घर बस गया और परिवार में एक सदस्य और जुड़ गया, लेकिन शादी के बाद बहू को सास ससुर के साथ नहीं रहना। उसे अलग अकेले दुनिया चाहिए। घर का विवाद महिला थाने तक पहुंच गया है


आज की महिलाएं शिक्षित हैं, पर शिक्षित होने का ये मतलब नहीं कि परिवार को छोड़कर अलग रहा जाए, शिक्षित होने का मतलब यह है कि परिवार को कैसे साथ लेकर चला जाएं। परिवार में लचीलापन जरूरी है। महिलाओं के अधिकार के लिए कानून है, पर जागरुकता का ये मतलब नहीं कि कानून का दुरुपयोग हो।
अर्चना सिंह, महिला थाना प्रभारी