- डीडीयूजीयू के रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित हुई प्रशिक्षण कार्यशाला में

- राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस से जुड़े शिक्षकों को दी गई प्रतियोगिता के उद्देश्यों और आयोजन के बारे में जानकारी

GORAKHPUR:

युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि हाल के दिनों में कम हो हुई है। जरूरत है वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की। विज्ञान विकास से जोड़ते हुए युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ानी होगी। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (राबाविका) के आयोजन का उद्देश्य भी दरअसल यही है, जिससे किशोर विज्ञान प्रतिभाओं को तलाशा जा सके और उनकी वैज्ञानिक चेतना का विकास किया जा सके। यह बात राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस से जुड़े शिक्षकों की प्रशिक्षण कार्यशाला में डीडीयूजीयू के प्रो। ओपी पांडेय ने कहीं। डीडीयूजीयू के रसायन विज्ञान विभाग में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में राबाविका के राज्य समन्वयक डॉ। एसके सिंह ने बताया कि यह विशिष्ट आयोजन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है।

बच्चों में वैज्ञानिक चेतना का विकास जरूरी

इसके पीछे उद्देश्य बच्चों में वैज्ञानिक चेतना का विकास करके उन्हें तार्किक और जन उपयोगी विज्ञान की खोज की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। शिक्षकों को संबोधित करते हुए डॉ। सिंह ने कहा कि बच्चों द्वारा तैयार प्रोजेक्ट में नवाचार और शोध प्रविधि होना जरूरी है। शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों को इस दिशा में प्रेरित करें। राज्य समन्वयक ने प्रतियोगिता के संबंध में विभिन्न आवश्यक जानकारियां भी दीं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष से राबाविका से जुड़ने के लिए आनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। 10 से 17 वर्ष तक के विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चे इसमें प्रतिभाग कर सकते हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता डीडीयूजीयू के पूर्व विभागाध्यक्ष प्राणि विज्ञान प्रो। सीपीएम त्रिपाठी ने की। कार्यशाला को अकादमिक समन्वयक डॉ। धर्मव्रत तिवारी, राबाविका के जिला समन्वयक डॉ। आशीष कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।