-विश्व अल्जाइमर्स दिवस (21 सितम्बर) पर विशेष

- सीनियर सिटीजंस को 21 से 27 सितंबर तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय डिमेंशिया अवेयरनेस वीक

GORAKHPUR: अगर आपके घर में सीनियर सिटीजन हैं और वह किसी बात को भूल रहे हैं तो कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें डिमेंशिया की प्रॉब्लम है। ऐसे सीनियर सिटीजन के उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) की है, ऐसे बुजुर्गो की तादाद बढ़ रही है। इसीलिए इस बीमारी की जद में आने से उन्हें बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जागरूकता लाना है ताकि घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गो को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाई जा सकें। इसी के तहत 21 से 27 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत प्रदेश के हर जिले में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के लिए अवेयरनेस कैंपेन स्टार्ट किया जा रहा है।

मनपसंद चीजों का रखना है ख्याल

बतादें, गोरखपुर में जहां हजारों के तादाद में बुजुर्ग हैं। वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुíवज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली की तरफ से अभी हाल ही में जारी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में करीब 16 करोड़ बुजुर्ग (60 साल के अधिक) हैं। इनमें से 60 से 69 साल के करीब 8.8 करोड़, 70 से 79 साल के करीब 6.4 करोड़, दूसरों पर आश्रित 80 साल के करीब 2.8 करोड़ और 18 लाख बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनका अपना कोई घर नहीं है या कोई देखभाल करने वाला नहीं है। ऐसे गोरखपुर में करीब दो दर्जन से अधिक बुजुर्ग हैं, जिनका अपना घर नहीं है। वहीं सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी बताया कि बुजुर्गो को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज बिल्कुल न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें। ऐसे कुछ उपाय करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें। निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें। अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूं कहें कि नौकरी-पेशा से रिटायर होने के बाद यह समस्या पैदा होती है। इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें। ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है कि जीवन शैली में एकदम से बदलाव आना जैसे- शरीर में आलस्य का आना, लोगों से बात करने से कतराना, बीमारियों को नजरंदाज करना, भरपूर नींद का न आना, किसी पर भी शक करना आदि।

गीत-संगीत से दूर कर सकते हैं डिमेंशिया

इस भूलने की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर हावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगायें तो यह बीमारी नहीं घेर सकती। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम और योगा को अपनाकर इससे बचा जा सकता है। दिनचर्या को नियमित रखें क्योंकि अनियमित दिनचर्या इस बीमारी को बढ़ाती है। धूम्रपान और शराब से पूरी तरह से दूरी बनाना ही हित में रहेगा। यदि डायबिटीज या कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारी है तो उसको नियंत्रित रखने की कोशिश करें।

अवेयरनेस प्रोग्राम के दौरान

सीएमओ ने बताया की 21 से 27 सितंबर तक चलने वाले डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के दौरान रैली, संगोष्ठी, अर्बन स्लैम कैम्प, मंद बुद्धि प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।

डिमेंशिया के सिंपटम्स

- रोजमर्रा की चीजों को भूल जाना

- व्यवहार में परिवर्तन आना

- रोज घटने वाली घटनाओं को भूल जाना

- दैनिक कार्य न कर पाना

क्या हो सकती है प्रॉब्लम

- बातचीत करने में दिक्कत आती है।

-किसी भी विषय में प्रतिक्रिया देने में विलम्ब होता है।

- डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक, एनीमिया और कुपोषण के अलावा नशे की लत होने के चलते भी इस बीमारी के चपेट में आने की संभावना रहती है।