हादसे ने छीन ली थी खुशियां

बशारतपुर में रहने वाले एसआर उपाध्याय ने बताया कि 13 अप्रैल 2009 को उनका बेटा शशांक शेखर (21 साल) घर की छत पर सो रहा था। अचानक रात में बिजली चले जाने से उसे अंदाजा नहीं मिला और वह छत से नीचे गिर गया। बेटे को लेकर उसकी फैमिली लखनऊ गई और इलाज कराया। बेटे की जान तो बच गई, मगर पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। न तो पैरों में जान बची थी और न ही यूरिन का पता चलता था। आई नेक्स्ट में स्टेम सेल से संबंधित न्यूज छपने के बाद जब एसआर उपाध्याय को पूरी जानकारी हुई तो वे बेटे को लेकर सिविल लाइंस स्थित हॉस्पिटल आए और अपना चेकअप कराया। इसके बाद डॉक्टर जीपी गोयल ने शशांक का स्टेम सेल से इलाज शुरू किया। स्टेम सेल की लास्ट डोज 26 अगस्त को दी गई। इसके बाद से शशांक के न सिर्फ पैरों में जान लौट रही है, वहीं यूरिन पर कंट्रोल समेत कई अन्य पार्ट्स भी वर्क करना शुरू कर दिया है। स्टेम सेल से इलाज के साथ शशांक की रेगुलर फिजियोथेरेपी भी हो रही है। डॉ। एससी पांडेय की देखरेख में एक्सरसाइज चल रही थी। इसी तरह पीपीगंज के पास रहने वाले सच्चिदानंद सिंह की बॉडी ने भी वर्क करना बंद कर दी थी। जिसका इलाज स्टेम सेल से करने के बाद काफी राहत है। अब बॉडी में दोबारा मूमेंट स्टार्ट हो रहे हंै।

स्टेम सेल बहुत कारगर प्रॉसेस है। इससे पहली बार इलाज किया गया था, जिसका रिजल्ट 100 परसेंट निकला। फिलहाल दो लोगों का इससे इलाज किया है, जिनकी कंडीशन अब काफी ठीक है।

डॉ। जीपी गोयल, सीनियर आर्थोपेडिक सर्जन