- नर्सरी से लेकर 12 वीं तक एक साथ की पढ़ाई, अब इंटर पास कर जुदा हो जाएंगी दोस्तों की राहें

- दोस्ती रहे बरकरार इसके लिए स्टूडेंट्स ने बनाया फ्रेंड्स ग्रुप

- ग्रुप में जुड़कर स्कूल की तरह स्टूडेंट कर रहे मस्ती

GORAKHPUR: ना रोने की वजह थी ना हंसने का बहाना था, क्यूं हो गए हम इतने बड़े, इससे अच्छा तो बचपन का जमाना था इंटर की पढ़ाई पूरी होने पर स्टूडेंट अपने दोस्तों से बिछड़कर कुछ इस तरह अपने बचपन को याद कर रहे हैं। नर्सरी से 12 वीं तक मतलब 14 साल स्कूल में एक साथ पढ़ाई की। अब इन स्टूडेंट का बिछड़ने का वक्त आ गया। स्कूल में तो अब इनकी क्लास भी नहीं चलनी है, केवल रिजल्ट आना बाकी है। स्टूडेंट ने 14 साल पढ़ाई तो एक साथ की लेकिन अब सबके अलग-अलग रास्ते हैं कोई इंजीनियर तो कोई डॉक्टर बनने की तैयारी करने लगा है। लेकिन इन सब के बीच बचपन के दोस्तों से बिछड़ने का दुख भी उन्हें परेशान कर रहा है। आइए मिलते ऐसे पक्के दोस्तों से जानते हैं उनकी कहानी।

नवतेज की बात पर हंस पड़ते थे सब

सेंट पॉल्स स्कूल चरगांवा में बचपन से एक साथ पढ़ने वाले सक्षम, मिटी, अरूणिमा, नवतेज, सनातन, अभय, सृजन, सोनम और शहनवाज इंटर फाइनल की पढ़ाई कम्प्लीट होने के बाद उदास हैं। सभी अच्छे दोस्त हैं। इनका कहना है कि 2007 में नर्सरी क्लास में पहली बार हमलोगों की मुलाकात हुई। इसके बाद यूकेजी से हमारी दोस्ती और पक्की होती गई। जैसे-जैसे क्लास में आगे बढ़ते गए हम सभी एक दूसरे और क्लोज होते गए। वहीं टीम को नवतेज की वो बातें जिसे सुनकर सारी क्लास हंस पड़ती थी। उसे याद कर अब आंखे भर जा रही हैं। इन दोस्तों के रास्ते भले अलग हो गए लेकिन इन्होंने फैसला किया है हम अलग नहीं होंगे। एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए सभी दोस्तों ने मिलकर एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया है। जिसपर दिन भर स्कूल की यादें ताजा करते हैं।

दोस्तों को याद आ रहा वो दिन

- एक दूसरे का टिफिन शेयर करना

- बात-बात पर मजाक उड़ाना

- टीचर की गैरमौजूदगी में मिमिक्री करना

- एक दूसरे से प्रॉब्लम में शेयर कर मदद करना

- स्कूल में एक साथ टूर जाना

- क्लास में टीचर द्वारा पनिशमेंट देना

- पहले लड़ाई फिर अच्छे दोस्त बनना

- दोस्तों के साथ खेलना और बदमाशियां करना

नर्सरी से 12 वीं तक पढ़ाई की पता ही नहीं चला कैसे समय गुजर गया। अब तो स्कूल की क्लासेज भी बंद हो गई, बचपन से साथ पढ़ने वाले दोस्तों की अब बहुत याद आ रही है।

आयुषी मौर्या, आरपीएम

स्कूल में दोस्तों के साथ गप्पे लगाना। खूब हंसना और हंसाना एक अलग दुनिया थी हमारी जहां पर सारी प्रॉब्लम मिलकर हम दूर कर लेते थे। अब तो सारे दोस्त छूट गए।

अदिति मद्धेशिया, आरपीएम

जिंदगी का सबसे कीमती समय बीत गया। दोस्तों के साथ कुछ पता ही नहीं चला। अब कोई बाहर जा रहा है तो कोई विदेश में कॅरियर संवारने निकल रहा। अब तो रोज उनसे मुलाकात कभी नहीं होगी।

आशिष सिंह, रैम्पस

मुझे जो अच्छे से समझता है वो मेरा परिवार और मेरे बचपन के दोस्त हैं। इंटर की पढ़ाई कम्प्लीट होने के बाद अब लग रहा है कि मैं दोस्तों से दूर हो गई। अभी तक पता नहीं चल रहा था।

अंकित वर्मा, रैम्पस

स्कूल में टीचर्स और अच्छे दोस्त सभी याद आएंगे। अब चाहकर भी वो दिन लौटकर नहीं आ पाएगा। फिरभी दोस्तों से मोबाइल से बात हो जा रही है। लेकिन स्कूल की बात कुछ और ही थी।

वैष्णवी सिंह, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज

स्कूल के पहले दिन से आज तक एक साथ पढ़ाई की। 14 साल तक एक साथ रहकर कभी लड़ाई करना तो कभी टीचर्स से पिटाई। ये सब बातें कर दोस्तों के साथ खूब हंसना और हंसाना बहुत याद आएगा।

आकृति शर्मा, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज

हम दोस्ती तोड़ नहीं सकते है चाहे कितनी भी दूरी हो जाए। इसलिए हम सभी दोस्तों ने मिलकर एक वॉट्सएप ग्रु्रप तैयार किया है। अब स्कूल जाना तो होता नहीं है इसी पर हम लोग बदमाशियां करते हैं।

सक्षम, सेंट पॉल्स

स्कूल जाते ही हंसना शुरू हो जाता था। कुछ खास था हमारा ग्रुप। सब एक से बढ़कर एक चैंपियन थे। कोई हंसाने में तो कोई रूलाने में महारथी था। कब समय गुजर गया पता ही नहीं चला।

मिटी, सेंट पॉल्स