-दादा बोले गुड नाइट तो दादी कहे वेलकम

-स्कूल की बच्चियों ने लॉकडाउन में दादा-दादी को बना दिया हाइटेक

-घर पर चलाई दादा-दादी के लिए इंग्लिश स्पीकिंग क्लास

-घर के बडे़ बुजुर्ग को बच्चे सीखा दिए कम्प्यूटर

GORAKHPUR: लॉकडाउन ने दुनिया को उलट-पलट कर रख दिया। लेकिन क्रिएटिव सोच और कुछ अलग करने वाले इस लॉकडाउन में भी अपने कारनामें को अंजाम देने से पीछे नहीं हटे। घर पर बडे़ बूढे़ दादा-दादी जो कहानियां सुनाते थे। लॉकडाउन में उनकी पोतियों ने उनकी बोलती बंद कर दी। जी हां हम बात कर रहे हैं गोरखपुर की जया शुक्ला, दिव्या पाण्डेय, अराध्या, समृद्धि श्रीवास्तव और अनुष्का यादव की जिन्होंने लॉकडाउन में अपनी एज से बढ़कर काम किया। लॉकडाउन की छुट्टियों का यूज इन बेटियों ने अपने घर दादा-दादी को हाइटेक बनाने में किया। कंप्युटर क्लास और इंग्लिश स्पीकिंग क्लास चलाकर दादा-दादी को देशी से विदेशी बना दिया। हाल ये है इस समय दादा जी गुड नाइट बोलते हैं तो दादी वेलकम बोलती हैं।

सीनियर सिटीजन का रखा अलग तरिके से ख्याल

कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरा सीनियर सिटीजन को था। लिहाजा प्रशासन की तरफ से भी कई बार ये गाइड लाइन जारी की गई कि घरों में बडे़ बुजुर्ग का विशेष ख्याल रखा जाए। डॉक्टर से लगाए न्यूज पेपर में भी ऐसी एडवाइज दी गई। जिसे पढ़कर स्प्रींगर लौरेटो ग‌र्ल्स स्कूल की स्टूडेंट जया शुक्ला ने कुछ अलग करने को सोची। उन्होंने लॉकडाउन टाइम का यूज अपनी दादी को कंप्यूटर चलाना सीखाने में किया। जया ने बताया कि कोरोना की वजह से दादी को घर से बाहर ना निकलना पडे़ और बिना किसी की मदद के ये खुद अपना काम कर सकें। इसके लिए मैनें उन्हें कंप्यूटर, मोबाइल और इंग्लिश सीखाना शुरू किया। ताकि दादी को जब जरूरत पडे़ अपने मोबाइल से ही वो कुछ भी घर बैठे मंगा सकें। इस समय दादी लैपटॉप भी चलाती है और पेटीएम से पेमेंट करना भी सीख गई हैं।

घर पर अंग्रेजी में करने लगे बात

इसी तरह दिव्या पाण्डेय, अराध्या मिश्रा, समृद्धि श्रीवास्तव और अनुष्का यादव जो अभी 5,6, 7 और 8 स्टैंडर्ड तक ही पहुंची हैं। लेकिन इनकी सोच एज से कहीं आगे है। स्प्रींगर लौरेटो में पढ़ने वाले इन बच्चों ने बताया कि एक दिन कुछ अलग करना है। दादा-दादी ने तो बचपन में हमे कहानियां सुनाकर खूब हंसाया है। लॉकडाउन में छुट्टियां हुई तो हमने भी उनके लिए कुछ करने को ठानी। इसके लिए हम सभी फ्रेंड्स कॉल करके अपनी-अपनी फीलिंग शेयर किए। जिसके बाद हम लोगों ने सबसे पहले घर पर दादा-दादी को इंग्लिश सीखाना शुरू किया। मोबाइल या टैबलेट चलाने के लिए जनरल इंग्लिश की जानकारी बेहद जरूरी है। इसलिए हम लोगों ने ऐसा किया। लेकिन इस समय सुबह उठते ही दादा जी गुड मॉर्निंग मैम बोलते हैं तो दादी भी देखकर वेलकम मैम बोलती हैं।

कोट-

एक तरफ बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं तथा केवल अपने कामयाबी के बारे में सोच रहे हैं। दूसरी तरफ इन बच्चियों ने कुछ अलग सोचा। बच्चियों के पैरेंट्स की जब कॉल आई कि घर पर बच्चे अपने दादा-दादी पर इतना समय दे रहे हैं तो यकीन नहीं हुआ। पढ़ाई जरूरी है लेकिन इससे भी अधिक जरूरी परिवार में मेल जोल होता है। स्कूल खुलने पर इन बच्चों को मैं सम्मानित भी करूंगी।

रीमा श्रीवास्तव, डायरेक्टर, स्प्रींगर लौरेटो स्कूल

घर पर कई बार ऐसा होता था जब कहीं इंग्लिश की बात आती थी तो दादा-दादी चुप हो जाते थे। वहीं हर किसी को आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है। कब क्या आफत आ जाए ये कोई नहीं जानता। इसलिए मैने दादा और दादी को हाइटेक जमाने में चलने के लिए जो जरूरी चीजें है उसे समझाया।

दिव्या पाण्डेय, 8 वीं की स्टूडेंट

घर पर जब सभी लोग चले जाते हैं तब दादा और दादी ही रह जाते हैं। ऐसे में कुछ ऐसी जानकारी होनी चाहिए कि वे घर बैठे ही अपना हर काम कर सकें। इसके लिए मैंने मोबाइल से बिल पेड करना और थोड़ी अंग्रेजी की जानकारी दी। इस समय वे खुद ये सब काम कर लेते हैं।

अनुष्का यादव, 7वीं की स्टूडेंट