-कोटा और आगरा में हुआ थर्मल स्कैनिंग

-रास्ते भर स्टूडेंट्स को क्वारंटाइन का सताता रहा डर

-सहजनवां पहुंचे डीएम, कमिश्नर जाना बच्चों का हाल

कोटा से गोरखपुर में आने में भले बच्चों को 15-16 घंटे लगे होंगे। लेकिन यह घंटे 15-16 दिन के बराबर थे। कई बार थर्मल स्कैनिंग प्रॉसेस से गुजरने के बाद भी स्टूडेंट्स को यह डर रास्ते भर सता रहा था कि उन्हें गोरखपुर पहुंचते कहीं क्वारंटाइन ना कर दिया जाए। ये वनवास किसी भी हाल में स्टूडेंट नहीं चाह रहे थे। वहीं, बार-बार पैरेंट्स भी अपने बच्चों को दिलासा दिला रहे थे कि वे जरा भी नहीं घबराएं। अब तो वो अपने घर वापस आ गए हैं।

थर्मल स्कैनिंग और मेडिकल से गुजरते रहे स्टूडेंट

सीएम की पहल पर यूपी से कोटा के लिए 300 बसें भेजी गई थीं। ऐसा इसलिए किया गया था कि कोटा में कोराना पेशेंट के केसेज डेली बढ़ रहे थे। यह सुनकर बच्चे मेंटली डिस्टर्ब हो गए थे। बच्चों ने ट्विटर पर 70 हजार पोस्ट कर अपना दर्द बयां कर रहे थे। इसका नतीजा हुआ कि सरकार एक्टिव हुई। शनिवार को बच्चे बैग तैयार कर काफी देर तक अपने-अपने कोचिंग पर ही डटे रहे। इसके बाद सभी बच्चों का मेडिकल और थर्मल स्कैनिंग कराकर उन्हें घर के लिए रवाना किया गया। बस आगरा पहुंची तो एक बार फिर बच्चों को इसी प्रॉसेस से गुजरना पड़ा, जो उनके लिए किसी दहशत से कम ना था।

सहजनवां में बना क्वारंटाइन सेंटर

कोटा से लौट रहे स्टूडेंट्स के लिए गोरखपुर प्रशासन भी एक्टिव हो गया। शनिवार को ही गीडा और सहजनवां के कॉलेज में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए। एक हाल में 30 बच्चों के लिए बिस्तर लगाए गए थे। साथ ही थर्मल स्कैनर मशीन और एक्सपर्ट और डॉक्टर्स की भी डयूटी लगाई गई। ताकि आने वाले बच्चों की अच्छे से जांच हो सके। उनके खाने पीने के लिए मेस की भी व्यवस्था की गई।

शाम 6 बजे पहुंची पहली बस

मुरारी इंटर कॉलेज में कोटा से पहली बस शाम करीब 6 बजे पहुंची। इससे पहले ही डीएम के विजयेंद्र पांडियन, कमिश्नर जयंत नर्लिकर और डीआईजी राजेश मोदक भी पहुंच गए। इस दौरान एसडीएम सहजनवां अनुज मलिक भी मौजूद रहे। बस से बच्चे उतरे तो अधिकारियों ने उनसे हाल-चाल लिया। वहीं बच्चे प्रशासन और व्यवस्था देखकर सहमे नजर आए। वे पूरी तरह मान लिए थे कि अब तो 14 दिन बाद ही अपने लोगों से मुलाकात हो पाएगी।

पैरेंट्स को रहा इंतजार

कोटा से गोरखपुर लौटने की खबर सुनकर पैरेंट्स बहुत खुश थे। वहीं उन्हें इस बात का भी डर सता रहा था कि कहीं उनके बच्चों को क्वारंटाइन ना कर दिया जाए। ये सोचकर वे बार-बार अपने बच्चे को कॉल कर रहे थे। वैसे प्रशासन ने बच्चों के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडी थी। कोटा, आगरा और लखनउ में भी बच्चों के खाने का इंतजाम किया गया था।

जांच के बाद भेजा घर

वहीं एक-एक करके बच्चों का थर्मल स्कैनिंग कराया गया। इसके बाद बच्चों के लिए नाश्ते की भी व्यवस्था थी। फिर अधिकारियों की हरी झंडी देने के बाद जो बच्चा स्वस्थ्य पाया जा रहा था उसे घर के लिए रवाना कर दिया जा रहा था। देर रात तक बसों के आने का सिलसिला जारी रहा।

कोट-

नेट की तैयारी करती हूं। शनिवार को छह बजे बस चली है। इससे पहले कोटा में मेडिकल और थर्मल स्कैनिंग कराया गया था। इसके बाद आगरा में भी थर्मल स्कैनिंग हुआ। बहुत डरी हुई थी। कहीं मुझे क्वारंटाइन ना कर दिया जाए।

नेहा यादव, टांसपोर्टनगर

कोटा में मेडिकल की तैयारी करता हूं। काफी दिनों से गोरखपुर अपने घर वापस आने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए मैंने सीएम को ट्विट भी किया था। आज मुझे बहुत डर लग रहा है पता नहीं मैं अपने घर पहुंच भी पाउंगा की नहीं।

आदित्य ध्वज सिंह, पांडेयपुर, कौड़ीराम