गोरखपुर (ब्यूरो)। 50 हजार के टारगेट में नगर निगम गोरखपुर को सिर्फ एक हजार फीडबैक मिले हैं। वहीं, सफाई नहीं होने की तमाम शिकायतें हैं। कई इलाकों में सफाई नहीं होने के मामले में पार्षदों ने भी नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन की घेराबंदी की है।

साफ-सफाई से संतुष्ट नहीं पार्षद, कमिश्नर से कंप्लेन

मोहद्दीपुर वार्ड नंबर 57 के पार्षद ने नगर आयुक्त से शिकायत करते हुए कहा, वार्ड में 27 सफाई कर्मी लगाए गए हैं। सभी वीआईपी ड््यूटी में रहते हैं। इसलिए वार्ड की समुचित सफाई नहीं हो पा रही है। वार्ड की गलियों में कचरे का ढेर लगा रहता है। वार्ड नंबर 28 के पार्षद प्रतिनिधि अनिल सिंह ने कहा कि वार्ड में मेठ की कार्यप्रणाली की वजह से सफाई कर्मी समय-समय पर सफाई नहीं करते हैं। इसकी वजह से वार्ड में कचरा जमा रहता है। जहां सफाई होती भी है। वहां सफाई कर्मी कचरा छोड़ कर चलते बनते हैं। उन्होंने इस संबंध में सुपरवाइजर को चेतावनी देते हुए कहा, यदि समय पर वार्डो की सफाई नहीं होती है तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

कंट्रोल रूम में आईं कंप्लेन

1. एचएन सिंह चौराहा स्थित कृष्णापुरम कॉलोनी वार्ड नंबर 37 के अभिषेक सिंह ने 31 मार्च को कंट्रोल रूम में सफाई और दवाओं के छिड़काव के लिए शिकायत की।

2. वार्ड नंबर 69 सिविल लाइंस के गुड्डू के आवास के आसपास कचरे का ढेर लगा है। उन्होंने 30 मार्च को सफाई के संबंध में शिकायत की थी।

3. खंजाची स्थित स्पोट्र्स कॉलेज की रहने वाली प्रगति श्रीवास्तव ने मोहल्ले की सफाई को लेकर तीन रोज पहले शिकायत की थी। उनका कहना है कि हफ्ते-हफ्ते बीतने के बाद भी सफाई नहीं होती है। इसकी वजह से गंदगी का अंबार लगता रहता है।

4. स्पोट्र्स कॉलेज निवासी अजय कुमार ने कंट्रोल रूम में शिकायत कर अवगत कराया कि इलाके में सफाई कर्मी आते हैं। आसपास की सफाई करने के बाद कूड़ा मौके पर ही छोड़ कर चले जाते हैं। इसकी वजह से कूड़ा नालियों में दोबारा चला जाता है। सुपरवाइजर से कहने के बाद भी समस्या नहीं सुधर रही है।

एप में टेक्निकल प्रॉब्लम, 1 माह में सिर्फ 1000 फीडबैक

स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में बेहतर रैंकिंग पाने के लिए नगर निगम ने पूरी ताकत झोंक दी है। एक मार्च से पब्लिक फीडबैक लेने का काम भी शुरू कर दिया गया, लेकिन इस दौरान अभी तक केवल 1000 लोगों का ही फीडबैक मिल पाया है। जबकि आठ लाख की आबादी पर 50 हजार से अधिक लोगों का फीडबैक लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह आंकड़ा तो 2011 सेंसेक्स के हिसाब से हो रहा है, अगर असल आबादी पर फीडबैक की बात करें तो नगर निगम की आबादी करीब 18 लाख के आसपास है, ऐसे में निगम को और भी मशक्कत करनी पड़ जाती। बताया गया है कि फिलहाल पुराने एप से वोट देने में टेक्निकल प्रॉब्लम आ रही है।

19 प्रॉब्लम के सॉल्युशन के लिए एप

महानगर की कॉलोनियों में नाली जाम, कूड़ा नहीं उठा, घर के सामने जानवर मरा पड़ा है, जैसी 19 प्रॉब्लम के लिए गोरखपुराइट्स को परेशानी को दूर करने के लिए पब्लिक की 19 प्रॉब्लम का सॉल्युशन एक एप है। नगर निगम ने पब्लिक की सहुलियत के लिए वोट फार योर सिटी एप, स्वच्छ महुआ एप, माई गवर्नमेंट एप, 1969 हेल्प लाइन नंबर, क्यूआर कोड, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन एप लांच किए हैं, लेकिन पिछले कई दिनों से एप में टेक्निकल प्रॉब्लम आने की वजह से फीडबैक की रफ्तार सुस्त है। फिलहाल नगर निगम के पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचा है स्वच्छता लिंक। इसके जरिए ही पब्लिक से फीडबैक लेने की जद््दोजहद की जा रही है।

अफसरों व कर्मचारियों की टीम बनाकर वार्डवार जिम्मेदारी दी गई है। कहा गया है कि नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए जो नई व्यवस्था की है उसे उसी रूप में लगातार लागू रखा जाए।

अविनाश सिंह, नगर आयुक्त