- रात में निकाला गया इमामबाड़ा इस्टेट का शाही जुलूस

- गेहूं की ताजिया जियारत के लिए हुई आम, जुलूस में निकाली जाएगी ताजिया

GORAKHPUR: नौवीं मोहर्रम को रात नमाज के बाद जुलूसों का सिलसिला शुरू हो गया। शहर के सभी मोहल्लों के इमाम चौकों से जुलूस निकले। सभी जुलूसों का केंद्र नखास चौराहा रहा। जुलूस में रौशन चौकी और सद्दा तो थी ही, वहीं करीब पचास अखाड़ों के करतब दिखाते नौजवानों सभी का ध्यान खींच रहे थे। देर रात लाइन की ताजिया का जुलूस निकला। जिसे देखने के लिए लोग रातभर जुटे रहे। लाइन की ताजिया का केंद्र गोलघर रहा। करीब दो सौ से अधिक लाइन ताजिया जुलूस की शोभा बढ़ा रही थीं। जुलूस में बरैठी का करतब देख लोग एक्साइटेड नजर आए। देर रात हुमायूंपुर, गोरखनाथ, बक्शीपुर, घंटाघर, बहरामपुर, सुमेर सागर, बनकटी चक, सिविल लाइन, घोसीपुरवा, बिछिया, चक्शा हुसैन, रेलवे बौलिया कॉलोनी, इस्माईलपुर सहित करीब तीन सौ जुलूस निकले। घोड़े, अलम आदि जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे।

एक साथ निकले 85 जुलूस

मियां साहब इमामबाड़ा इस्टेट से शाही जुलूस सोमवार को निकला जाएगा। इसके अलावा हुमायूंपुर, गोरखनाथ, बक्शीपुर, घंटाघर, बहरामपुर, सुमेर सागर, बनकटी चक, सिविल लाइन, घोषीपुरवा, बिछिया के 17 जुलूस समेत चक्शा हुसैन, रेलवे बौलिया कॉलोनी सहित करीब 85 जुलूस निकलेंगे। गोलघर में लाइन की ताजिया का जुलूस सभी के सेंटर ऑफ अट्रैक्शन रहे। शाम को ही इमाम चौकों पर छोटी-बड़ी ताजिया रख दी जाएंगी। हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शोहदा-ए-कर्बला के इसाले सवाब के लिए नियाज-फातिहा घरों, मस्जिदों व इमाम चौकों पर होंगी। वहीं तंजीम कारवाने अहले सुन्नत की ओर से तुर्कमानपुर रशीद मंजिल के मैदान में शाम 6.16 बजे सामूहिक रोजा इफ्तार हुआ।

बॉक्स

गेहूं की ताजिया की हुई जियारत

नाजिया इमामबाड़ा साहबगंज में तीसरी मोहर्रम से बन रही गेहूं की ताजिया मुकम्मल हो गई है। सोमवार को शाम 6.30 बजे से इस ताजिया की जियारत का सिलसिला शुरू हो गया। इस ताजिया को बनाने में करीब 25 किलोग्राम गेहूं के दानों का इस्तेमाल किया गया है। गेहूं की ताजिया कारीगरी और साइंस का उम्दा नमूना है। सैकड़ों सालों से इस गेहूं की ताजिया को बनाने का काम तीसरी मोहर्रम से किया जाता है। नौवीं मोहर्रम को जियारत करवाई जाती है। ताजिया साढ़े पांच फीट ऊंची है। एक बात और काबिले गौर है कि इसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सैकड़ों साल से बन रही यह ताजिया हिंदू-मुस्लिम एकता का केंद्र है। यहां बराबर इमाम हुसैन उनके जानिंसारों के इसाले सवाब के लिए फातिहा ख्वानी होती रहती है।