गोरखपुर (संतोष गिरी)।सिटी के चौराहों पर चाय के नए 'अड्डेÓ खुल रहे हैं। नौका विहार जैसी जगह पर जहां अलसुबह से लेकर रेलवे स्टेशन रोड पर देर रात तक युवाओं का जमघट लगा रहता है। समय के साथ चाय के फ्लेवर भी बढ़ते गए। अदरक, मसाला चाय की साथ अब चॉकलेट, केसर और गुलाब चाय साथ है। तंदूरी चाय भी युवाओं की पसंदीदा है। इसी कारण राज्य में चाय की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। यहां तक की चाय भी ऑनलाइन मंगाने लगे हैं। गोरखपुर के थोक कारोबारियों के अनुसार 15 लाख गोरखपुराइटस हर साल 100 करोड़ रुपए की चाय पी रहे हैं, जबकि तीन साल पहले यह आंकड़ा करीब 70 करोड़ रुपए था। पिछले 3 साल में इसमें 25 परसेंट की ग्रोथ हुई है।
नई सोच के साथ शुरू किया चाय बिजनेस
बैंक मैनेजर की नौकरी छोड प्रोफेशनल युवाओं ने चाय के स्टार्टअप शुरू किए हैं। नौका विहार में चाय का स्टार्ट अप चला रहे सुयांश मिश्र ने बताया कि चाय का काम शुरू करने की बात करते ही लोगों ने विरोध किया था। उन्हें लगा ये तो थड़ी-ठेले वालों का काम है। नई सोच के साथ काम शुरू किया और आज वही तारीफ करते हैं। नौका विहार पर नहीं चाय का कारोबार करने वाले हीरामन ने बताया कि पहले तंदूरी चाय का बिल्कुल प्रचलन नहीं था, लेकिन आज युवाओं की पहली है। गोरखपुर थोक चाय कारोबारियों के अनुसार पूरे गोरखपुर में 10 से 15 लाख किलो चाय की सालाना खपत होती है।
युवा रख रहे चाय स्टार्टअप का यूनिक नाम
- चायम स्पेशल चाय वाला
- पत्रकार चाय वाला
- मॉडल चाय वाली
- पीएम चाय वाला
- चाय सुट्टा बार
- आईआईटीयन चाय वाला
- ग्रेज्युएट चाय वाला
- यू-ट्यूबर चाय वाला
- तलब चाय
- बदनाम चाय
- बेवफा चाय
- वन मोर कप टी
चाय की वैरायटी
- दूध की चाय
- चॉकलेट चाय
- केसर चाय
- तंदूरी चाय
- व्हाइट चाय
- ब्लैक चाय
- ग्रीन टी
- लेमनग्रास टी
- रोज टी
- आइस टी
यहां से आती है चाय
चाय कारोबारियों के अनुसार अधिकांश चाय की पत्ती असम और पश्चिम बंगाल से आती है। पश्चिम बंगाल के डुआर्स, तराई और दार्जिलिंग से अधिक आते है। उसके बाद तमिलनाडु और केरल से भी चाय आती है।