- टेराकोटा के शिल्पकारों को सरकार से है काफी उम्मीद

- काम में मशगूल टेराकोटा कलाकारों को इस आपदा में नहीं मिल रही मदद

- वोटर हैं लेकिन नहीं मिलता गवर्नमेंट की योजनाओं का लाभ

GORAKHPUR: हर डिस्ट्रिक्ट का अपना एक प्रोडक्ट होता है। इसी तरह टेराकोटा भी गोरखपुर का प्रोडक्ट है। गोरखपुर का टेराकोटा देश-विदेश तक मशहूर है। इसलिए वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के तहत सरकार द्वारा टेराकोटा के शिल्पकारों को काफी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। धीरे-धीरे शिल्पकारों के दिन बहुरने भी लगे थे लेकिन नोवल कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की घोषणा ने टेराकोटा के शिल्पकारों पर भी संकट खड़ा कर दिया है। देश-विदेश में टेराकोटा को मशहूर करने वाले कलाकार इस समय आर्थिक रूप से टूटने लगे हैं और इसके कारोबार पर भी संकट खड़ा हो गया है।

टेराकोटा से जुड़े हैं 200 परिवार

भटहट क्षेत्र के औरंगाबाद, गुलरिहा बाजार, भरवलियां, एकला नंबर आदि एरियाज में लगभग 200 परिवार टेराकोटा से जुड़े हैं। इनके परिवार के लोग पुश्तों से टेराकोटा की कलाकृति बना रहे हैं। औरंगाबाद के लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रजापति बताते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम काफी सराहनीय हैं। इन दिनों हस्तशिल्प से जुड़े लोग घरों में ही कलाकृति का निर्माण कर स्टॉक कर रहे हैं।

कलाकारों को हो सकती खाने की दिक्कत

लॉकडाउन में बाहरी खरीदारों के नहीं आने से आमदनी बिल्कुल बंद है। वहीं गरीब परिवार के लोगों के घरों में पहले से ही जगह कम है ऐसे में वे सामान बनाकर कहां स्टॉक करें ये भी मुसीबत उनके सामने है। अध्यक्ष लक्ष्मी प्रजापति का कहना है कि लॉकडाउन अगर इसी तरह बढ़ता गया तो आने वाले समय में टेराकोटा कलाकारों को खाने के लाले पड़ जाएंगे।

30-35 लाख का कारोबार ठप

अध्यक्ष लक्ष्मी प्रजापति का कहना है कि नॉर्मल डेज में बाहर से ऑर्डर आते रहते हैं। एक ट्रक पर करीब पांच लाख तक माल जाता है। इस तरह से पूरे इलाके से करीब 6-7 ट्रक माल एक महीने में चला जाता है। 30-35 लाख रुपए का कारोबार लॉकडाउन में प्रभावित हुआ है। जबकि 200 परिवारों की जीविका का एक मात्र यही साधन टेराकोटा है। इस कारोबार के ठप होने से उन्हें आगे की चिंता सताए जा रही है।

लॉकडाउन खुलेगा तभी बिजनेस कर पाएगा रन

गोरखपुर में बंद पडे उद्योगों को चलाने के लिए सरकार पूरी मदद कर रही है। जबकि टेराकोटा का कारोबार में जब तक लॉकडाउन नहीं हटेगा तब तक ऑर्डर मिलना मुश्किल है। ऐसे में टेराकोटा कलाकारों को सरकार की मदद की दरकार है। कलाकारों का कहना है कि लॉकडाउन में बनाई गई कलाकृतियों को बाजार मुहैया कराने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना चाहिए। जिससे ये कलाकार अपने परिवार का पेट भर सकें।

नहीं मिलता सरकारी योजना का लाभ

सबसे बड़ी बात ये है कि शिल्पकार वोटर तो हैं लेकिन राशन कार्ड सूची में इनका नाम नहीं है। गरीब होने के बाद भी इन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

यहां से आते ऑर्डर

पुणे, मुंबई, दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, अहमदाबाद, बंगलुरू, बड़ौदा, भोपाल आदि।

कोट्स

लॉकडाउन के दौरान बनाई गइौं कलाकृतियों को बाजार मुहैया कराने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना होगा। टेराकोटा शिल्पकला पर आश्रित शिल्पकारों को सरकार से मदद की काफी उम्मीद है।

राजन प्रजापति, सचिव, टेराकोटा सहकारी समिति

टेरोकोटा कलाकार कुआं खोदता है तब अपना पेट भरता है। लॉकडाउन कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए सरकार का अच्छा कदम है। लेकिन ऐसे में टेराकोटा परिवार का मेन कारोबार बंद हो गया है। इसके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए।

लक्ष्मी प्रजापति, अध्यक्ष, लक्ष्मी स्वंय सहायता समूह

लॉकडाउन के बाद से ही काम बंद हो गया है। कुछ माल बनाकर स्टॉक किए हुए हैं लेकिन इनके बिकने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। पूरे देश में लॉकडाउन का स्थिति है। जब तक लॉकडाउन पूरी तरह नहीं खुलेगा तब तब कारोबार भी आगे नहीं बढ़ेगा।

गुलाब प्रजापति, कलाकार

माल स्टॉक करने में भी डर लग रहा है। जाने कब लॉकडाउन हटेगा। अभी तक जो स्थिति दिख रही है उसके हिसाब से तो ये लग रहा है कि अभी आगे भी लॉकडाउन बढ़ता रहेगा। ऐसे में सरकार को हम लोगों की मदद के लिए पहल करनी होगी नहीं तो खाने-पीने की भी दिक्कत हो जाएगी

सोहनलाल प्रजापति, कलाकार