- वर्कशॉप में लगाया गया थर्मल स्क्रीनिंग कैमरा, अब स्टेशन पर लगाने की तैयारी

-सोशल डिस्टेंसिंग ट्रैकर सिस्टम डेवलप करने के साथ ही 80 हजार से तीन लाख रुपए तक में मिलने वाला थर्मल इमेजर कैमरा महज दस हजार में बनाया

-पैसेंजर्स और कर्मचारियों के एंट्री करते ही तापमान बताएगा उपकरण

GORAKHPUR: कोरोना संक्रमण काल में रेलवे तरह-तरह के सफल प्रयोग कर रहा है। जहां रेलवे वर्कशॉप में कर्मचारियों की सेफ्टी में लगा ऑटोमेटिक ट्रेंप्रेचर सिस्टम रोमांचित करने वाला है। वहीं, रेलवे के इंजीनियर्स ने सोशल डिस्टेंसिंग ट्रैकर सिस्टम डेवलप करने के साथ ही 80 हजार से तीन लाख रुपए मूल्य का थर्मल इमेजर कैमरा महज 10 हजार में बना दिया। यह उपकरण कर्मचारियों की एंट्री करने के दौरान तापमान बताएगा। सफल प्रयोग होने के बाद अब रेलवे प्रशासन इसे रेलवे स्टेशन के मेन गेट पर लगाने का विचार कर रहा है। इससे प्लेटफार्म पर आने वाले पैसेंजर्स 'तीसरी आंख' की जद में रहेंगे। इसके लग जाने से थर्मल स्क्रीनिंग के झंझट से कर्मचारियों को छुटकारा मिल सकेगा।

एक जून से ही स्टेशन पर पैसेंजर्स की आवाजाही शुरू हो चुकी है। ऐसे में अपने स्टॉफ को कोरोना वायरस से बचाने के लिए तमाम कवायद शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो स्टेशन पर खुद रेलवे द्वारा डेवलप किया गया आटो थर्मल स्क्रीनिंग कैमरा लगेगा। यानि अब किसी भी इंप्लॉई को सीधे तौर पर यात्री का तापमान नहीं जांचना होगा, बल्कि केबिन में बैठे-बैठे रेल इंप्लॉई यात्री की स्क्रीनिंग कर लेगा। मिली जानकारी के मुताबिक इसका प्रयोग पिछले दिनों वर्कशॉप में किया गया जिसमें सफलता मिली है। अब रेलवे प्रशासन इसे स्टेशन पर भी लगाने की तैयारी में है।

एंट्री करते ही कैमरा कैप्चर कर लेगा व्यक्ति का तापमान

इंजीनियर्स द्वारा विकसित थर्मल इमेजर कैमरा गेट से अंदर एंट्री करने वाले पैसेंजर्स का तापमान तो रीड कर ऑफिस में बैठे अफसरों के केबिन में भी डिस्प्ले भी करेगा। अगर मानक से अधिक तापमान होगा तो अलार्म बजने लगेगा। इसकी खासियत यह भी है कि यह कैमरा हर आने वाले सभी पैसेंजर्स की तस्वीर कैप्चर रिकार्ड करेगा। इतना ही नहीं एंट्री के पास एक केबिन बनाया जाएगा। इस केबिन में ही ड्यूटी पर तैनात रेल इंप्लॉई आटो स्क्रीनिंग के जरिए व्यक्ति के शरीर का तापमान जान लेगा।

एक-एक की थर्मल स्क्रीनिंग से मिलेगा छुटकारा

वर्कशॉप में इंप्लॉईज की संख्या अन्य डिपार्टमेंट की तुलना में अधिक है। यहां करीब 5200 इंप्लॉई दो शिफ्ट में काम करते हैं। ऐसे में यहां सभी कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी है। मैनुअल स्क्रीनिंग करने से आने वाले इंप्लॉईज का ट्रेंप्रेचर रिकार्ड नहीं हो पाता तथा कुछ लोग बिना जांच के ही एंट्री कर लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बताते चलें कि वर्तमान में रेल इंप्लॉई एंट्री प्वाइंट पर एक-एक पैसेंजर्स की थर्मल स्क्रीनिंग करता है।

इन पार्टो से बनाया, ऐसे करेगा काम

इंजीनियर ने इसे बनाने के लिए 300 रुपए का थर्मल गन (इंफ्रारेड थर्मामीटर), 50 रुपए का मोबाइल एडाप्टर, 250 रुपए की सर्किट और सात हजार रुपए की सीसीटीवी का प्रयोग किया है। थर्मल गन से एडाप्टर और सर्किट को कनेक्ट कराने के बाद थर्मल गन को एक बाक्स में रख दिया, जिससे दो सुराग बने हुए हैं। इसी में क्लोज सर्किट कैमरा भी लगा है। जो इमेज कैप्चर करने के साथ ही डाटा भी कनेक्ट करेगा।

पूरे महीने का रखेगा डिटेल्स

मशीन ट्रेंप्रेचर का रिकार्ड रखने के साथ ही इंप्लॉईज का डेली का डिटेल्स भी रखेगी। कौन सा इंप्लॉई कितने बजे आया। तथा कब गया।