गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर रीजन की 270 अच्छी बसें चुनाव में भेज दी गई हैं। 200 बसें विभिन्न रूट पर चल रही हैं। लोकल रूट के पैसेंजर्स को लगन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लंबे रूट पर कमाई की उम्मीद में खटारा बसों को भेज दिया जा रहा है। पैसेंजर राकेश तिवारी कहते हैं कि लंबी दूरी की बसों की स्थिति तो अच्छी होनी ही चाहिए। दो ड्राइवर की भी तैनाती होनी चाहिए, लेकिन एक चालक के भरोसे बस को दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी भेज दिया जा रहा है।

दो किलोमीटर चलने के बाद खड़ी हो जा रही बसें

बसों की कंडीशन यह है कि वह दो किलोमीटर चलने के बाद बीच रास्ते में ही खड़ी हो जा रही है। बसों के सीट पूरी तरह से फट गए हैं। सीट पर पैसेंजर बैठने पर नीचे गिर जाते हैं। वहीं टायर की हालत भी खस्ता है। बीच-बीच में दरार आ गया है। जबकि रोडवेज पैसेंजर्स से पूरा किराया वसूल कर रहा है। कंडक्टर पैसेंजर से 1028 रुपए किराया लिए और उन्हें 500 रुपए वापस कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ दे रहे हैँ।

बीच रास्ते में खराब हो रही बस

पैसेंजर्स मनोज पांडेय ने बताया कि पुलिस वालों की मदद से पिंक बस पकड़कर आगरा पहुंचा। इसके बाद प्राइवेट बस से दिल्ली के लिए निकला। कई पैसेंजर्स को ट्रक और टे्रलर पर बैठ कर आगरा पहुंचना पड़ा। एक पैसेंजर ने बताया कि ऑटो खराब होता है तो भी ड्राइवर दूसरा ऑटो मुहैया करा देता है, लेकिन परिवहन विभाग की बस में कोई व्यवस्था नहीं है। सवाल यह है कि जब परिवहन निगम के पास सभी जिलों में डिपो हैं, तो बस का इंतजाम कुछ घंटों में क्यों नहीं हो सका? महिला पैसेंजर्स के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो जवाबदेही किसकी होती?

नहीं मिली कोई मदद

पैसेंजर रंग बिहारी पांडेय ने बताया कि गोरखपुर बस स्टेशन पहुंचे तो अच्छी कंडीशन की कोई बस नहीं थी। मजबूरी में एक खटरा बस में सवार होना पड़ा। बस खराब होने की बात जिम्मेदार अफसरों की गई। लेकिन कोई मदद नहीं मिली। राघवेंद्र वर्मा ने बताया कि उन्हें लखनऊ में ड्यूटी ज्वाइन करनी थी, लेकिन खटारा बस की मार झेल रहा हूं। बस ड्राइवर ने बताया कि चुनाव में सभी बसें चली गई हैं। जिन बसों का संचालन हो रहा है उनकी कंडीशन ठीक नहीं हैं। मजबूरी में बसों को ले जाना पड़ रहा है। बीच रास्ते में खराब होने के बाद काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बसों के खराब होने की शिकायत अफसरों से की जाती है लेकिन इसका रिस्पांस नहीं मिलता है।

लंबी दूरी की बस की सीटें टूटी-फटी

लंबी दूरी तय करने वाली बस की सीटें टूटी-फटी हैं। ज्यादातर से फोम निकल चुका है और लोहे नजर आ रहे हैं। बस की बॉडी भी जगह-जगह टूटी हैं। जिसकी वजह से सफर भी मुश्किल भरा हो गया है। पैसेंजर्स को बेहतर सुविधा का दावा करने वाले रोडवेज के गोरखपुर डिपो की बसों का खस्ता हाल है।

केस वन -पांच दिन पहले गोरखपुर डिपो की दिल्ली जाने वाली बस यूपी 53 बीटी 3559 का टायर दगने से 52 पैसेंजर्स को कन्नौज के पास एक्सप्रेस वे पर पूरी रात गुजारनी पड़ी। महिलाएं और बच्चे रोते रहे लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली।

केस वन-देवरिया डिपो की बस यूपी 53 बीटी 4276 का कंडीशन यह है कि इस बस में सफर करना मुश्किल हैं। बस की बॉडी टूट चुकी है और बस कें अंदर सीटें टूटी और फटी है। पैसेंजर्स का बस में सफर करना मुश्किल हो गया लेकिन उनके सामने मजबूरी है।

चुनाव में बसों के चलने जाने की वजह से दिक्कत हुई है। लांग रूट पर चलने वाली बसों को चेक कर भेजा जाता है। रास्ते में यदि बस खराब होने की सूचना मिलती है तो पैसेंजर्स को दूसरी बस में शिफ्ट कर कर उन्हें गंतव्य तक भेजा जाता है।

- एके मिश्रा, एआरएम गोरखपुर डिपो