- मेडिकल कॉलेज एरिया में कंज्यूमर्स के घरों में पहुंचे दो-दो बिल

- पब्लिक कंफ्यूजन में कौन सा जमा करें, दोनों में 500 से 800 रुपए का अंतर

GORAKHPUR: बिजली विभाग के कारनामों से सभी परेशान हैं। एक कमी दूर नहीं होती कि दूसरी सामने आ जाती है। ऐसा ही एक कारनामा फिर से सामने आया है। इस बार विभाग ने मेडिकल कॉलेज, गुलरिहा और भटहट एरिया के एक दर्जन कंज्यूमर्स को परेशान कर दिया है। इन कंज्यूमर्स के घरों में मीटर लगाने के बाद अब विभाग ने उन्हें दो बिल थमा दिए हैं। इससे कंज्यूमर्स परेशान हैं कि उन्हें कौन सा बिल जमा करना है। दोनों ही बिल विभाग से इशु किए गए हैं, इसलिए वह वहां के चक्कर लगाने का मजबूर हैं।

मीटर से हुई गड़बड़ी

बिजली विभाग पिछले एक साल से कुछ इलाकों में नया मीटर लगा रहा है। दिसंबर 2015 में भटहट, गुलरिहा और मेडिकल कॉलेज के आस-पास के सभी घरों में मीटर लग गया। जनवरी में लोकल स्तर पर बिल निकालने का आदेश भी दे दिया गया। वहीं कंज्यूमर्स को मीटर रीडिंग से ही बिल जमा करने की हिदायत दी गई। मगर जिम्मेदारों ने इसकी जानकारी लखनऊ बिलिंग सेंटर्स को नहीं दी गई। इससे स्थिति ये हुई कि ग्रामीण एरिया में प्रत्येक दो माह में एक बार आने वाला बिल तो लोगों के घरों में पहुंचा ही, वहीं साथ में नई व्यवस्था के तहत मिलने वाला मैनुअल बिल भी कंज्यूमर्स के पास पहुंच गया। इन दोनों बिलों में 500 से 800 रुपए का अंतर होने के कारण कंज्यूमर्स परेशान हैं कि वह किसे सही समझें और जमा करें।

विभाग को भारी नुकसान

बिजली विभाग को भी इस लापरवाही के कारण 1.25 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। चीफ इंजीनियर डीके सिंह का कहना है कि एक मैनुअल बिल बनवाने में विभाग के चार रुपए खर्च होते हैं, वहीं मीटर रीडर से एक बिल बनवाने पर 2.25 रुपए देना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज, भटहट और गुलरिहा एरिया में लगभग 20 हजार कंज्यूमर्स हैं जिनके यहां दो बिल पहुंचे हैं। एक बिल पर विभाग ने 6.25 रुपए खर्च करके पब्लिक के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। दोनों बिलों को जोड़ें तो 20 हजार कंज्यूमर्स का बिल बनाने पर 1.25 लाख रुपए खर्च हुए। दो बिल आने से मार्च के आखिर में भी इस एरिया से अबतक एक भी रुपए बिल के रूप में जमा नहीं हुआ है।

मीटर रीडिंग का बिल सही है और कंज्यूमर्स को इसे ही जमा करना होगा। कुछ तकनीकी प्रॉब्लम के कारण ये समस्या आई है। अगले महीने से केवल मीटर रीडिंग वाला ही बिल जमा करना होगा।

डीके सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन