गोरखपुर (ब्यूरो)।रहमत के अशरे में चंद दिन और बचे हुए हैं जिसके बाद मगफिरत का अशरा शुरू होगा। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के मौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि रमजान के इस मुकद्दस महीने में कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। कुरआन-ए-पाक का पढऩा देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है। कुरआन-ए-पाक पूरी दुनिया के लिए हिदायत है। हमें कुरआन-ए-पाक के मुताबिक बताए उसूलों पर जिदंगी गुजारनी चाहिए।

23 साल में नाजिल हुआ कुरआन

अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद साहब पर कुरआन-ए-पाक 23 साल में नाजिल हुआ। इस पर अमल करके ही दुनिया में अमर और शांति कायम की जा सकती है। पूरा कुरआन-ए-पाक एक दफा इक_ा नहीं नाजिल हुआ बल्कि जरूरत के मुताबिक 23 वर्षों में थोड़ा-थोड़ा नाजिल हुआ। कुरआन शरीफ के किसी एक हर्फ लफ्ज या नुक्ते को कोई बदलने की कोशिश करे तो बदलना मुमकिन नहीं। अगली किताबें नबियों को ही जुबानी याद होती, लेकिन कुरआन-ए-पाक का यह मोजजा है कि मुसलमानों का बच्चा-बच्चा उसको याद कर लेता है।

जरूरत पडऩे पर रोजेदार खून दे सकता है : उलमा किराम

गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की ओर से जारी रमजान हेल्प लाइन नंबरों पर मंगलवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। उलमा किराम ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।

1. सवाल : प्रोविडेंट फंड पर जकात है या नहीं? (जफर, बड़े काजीपुर)

जवाब : हां। अगर यह रकम निसाब को पहुंच जाए तो साल बसाल जकात अदा करनी पड़ेगी। (मुफ्ती मेराज)

2. सवाल : रोजे की हालत में खून देना कैसा? (अब्दुल समद, तुर्कमानपुर)

जवाब : सख्त मजबूरी में जबकि जान का खतरा हो रोजे की हालत में भी खून देना जायज है, मगर इतना खून देना जिससे कमजोरी महसूस हो मकरूह है। (मुफ्ती अख्तर)

3. सवाल : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना कैसा? (निशात, बुलाकीपुर)

जवाब : रोजे की हालत में आंख में दवा डालना जायज है, इससे रोजा नहीं टूटेगा, अगरचे उसका जायका हलक में महसूस हो। (मुफ्ती अजहर)

4. सवाल : रोजे की हालत में जख्म पर मरहम या दवा लगा सकते हैं? (नदीम, सूरजकुण्ड)

जवाब : हां। लगा सकते हैं। (कारी अनस)

5. सवाल : इंजेक्शन के जरिए खून निकाला या चढ़ाया गया तो वुजू टूट जाएगा? (मेहताब, खूनीपुर)

जवाब : हां। वुजू टूट जाएगा। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

अनाया फातमा ने रखा पहला रोजा

खोखर टोला निवासी नवेद आलम व फरहा दीबा की सात वर्षीय बेटी अनाया फातमा ने मंगलवार को अपना पहला रोजा रखा। अनाया फन एंड लर्न स्कूल में कक्षा दो की छात्रा हैं, साथ ही वह मकतब दीनियात में भी पढ़ती हैं। अनाया सुबह सहरी करने के बाद नमाज और कुरआन-ए-पाक की तिलावत में मशगूल हो गईं। दिनभर अल्लाह की इबादत की। अब्बू अम्मी ने हौसला बढ़ाया। शाम में इफ्तार करके अल्लाह का शुक्र अदा किया। घर वालों ने दुआओं और तोहफों से नवाजा।