गोरखपुर (ब्यूरो)। कैंसर विशेषज्ञ डॉ। शंशाक शेखर के अनुसार गाल ब्लैडर कैंसर के मामले दिल्ली व आसपास में मिलते थे और इनकी संख्या एक-दो परसेंट होती है। लेकिन यूपी और आसपास के जिलो में मामले मिलना और उसकी संख्या टोटल कैंसर पेशेंट्स का 30 परसेंट होना हैरत में डालने वाला है। इसका कारण पता करना जरूरी है। इसलिए स्टडी का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

300 पर होगी स्टडी

एम्स के ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट ने इलाज कर रहे 300 मरीजों को डाटा कलेक्ट किया है। इनकी उम्र 40 से 60 के बीच की है। इनमें सबसे ज्यादा 200 महिलाएं और 100 पुरुष शामिल है। सबसे ज्यादा मरीज ईस्ट यूपी और बिहार के हैं। जहां सबसे ज्यादा गाल ब्लैडर के मरीज सामने आए हैं।

30-30 परसेंट मामले

यूपी व बिहार में अभी तक मुंह और गले में कैंसर के केस सामने आ रहे थे। लेकिन अब एम्स पहुुंचने वाले मरीजों ने गंभीर संकेत देने शुरू कर दिए हैं। कैंसर को लेकर नई धारणा तैयार होने लगी है। पिछले दो साल में लगभग एक हजार कैंसर मरीज एम्स पहुंचे। इसमें से 300-300 मरीज मुंह व गले, सर्वाइकल, बच्चेदानी के मुंह के साथ ही गाल ब्लैडर के कैंसर भी मिले हैं। इन तीनों अंगों के कैंसर के मामले 30-30 परसेंट है।

सबसे ज्यादा केस यूपी-बिहार में

गाल ब्लैडर से जुड़े कैंसर सबसे ज्यादा मरीज यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे जिलों सिवान, गोपालगंज, छपरा, रक्सौल, नरकटियागंज के हैं। इनके खाने-पान, रहन-सहन, पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक माहौल को केंद्र में रखकर स्टडी की जाएगी। यह भी स्टडी का हिस्सा होगा कि महिलाओं में इसके मामले ज्यादा क्यों हैं?

गाल ब्लैडर के कैंसर मरीजों की संख्या चौंकाने वाली है। इसके मामले बहुत कम आते हैं। पूर्वी यूपी और बिहार में इनका 30 परसेंट मिलना हैरान करने वाला है। इसलिए गालब्लैडर कैंसर के कारणों को पता करना बेहतद जरूरी है। इसके लिए स्टडी का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 300 मरीजों पर स्टडी होगा।

- डॉ। सुरेखा किशोर, कार्यकारी डायरेक्टर, एम्स