- सेनिटाइजर की भरमार, असली के लिए ढूंढने पड़ रहे हैं ऑप्शन

- क्या है सेनिटाइजर बनाने की शर्त

- खराब सेनिटाइजर के इस्तेमाल से स्किन प्रॉब्लम का खतरा

GORAKHPUR: कोरोना संक्रमण के केस लगातार बढ़ रहे हैं। इससे बचाव की दवा या टीका तो अब तक अवेलबल नहीं है, लेकिन अपने हाथों को धोकर या सेनिटाइजर का इस्तेमाल कर कुछ हद तक इससे बचाव किया जा सकता है। ऐसा हम लोग बखूबी कर भी रहे हैं। मगर एक तरफ जहां सेनिटाइजर हमारे लिए कोविड-19 की ढाल है, वहीं इसके डुप्लिकेट या मानक के अकॉर्डिग न बनाए गए सेनिटाइजर मुसीबत बढ़ा रहे हैं। साथ जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमारे लिए प्रॉब्लम का सबब भी बन रहा है। हालत यह हो गई है कि सिर्फ जिला अस्पताल के स्किन डिपार्टमेंट में आ रहे मरीजों में ऐसे पेशेंट्स की तादाद करीब 40 परसेंट है, जिन्हें सेनिटाइजर लगाने से प्रॉब्लम हुई है। हालांकि डॉक्टर्स की मानें तो सिर्फ रिनाउंड या नोन कंपनी के ही सेनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए, तो इस प्रॉब्लम से काफी हद तक बचा जा सकता है।

हैंडवॉश को दें बढ़ावा

स्किन स्पेशलिस्ट की बात करें तो सेनिटाइजर का इस्तेमाल बुरा नहीं है, लेकिन जरूरत से ज्यादा इसको यूज करने पर प्रॉब्लम बढ़ सकती है। इसलिए अगर आपको लगता है कि आपके हाथों में संक्रमण हो सकता है, तो बजाए सेनिटाइजर का इस्तेमाल करने के हैंड वॉश करें, इसमें भी हैंडवॉश के प्रोटोकॉल को पूरी तरह से फॉलो करें, जिससे कि संक्रमण रहने के चांसेज न हो। सेनिटाइजर का इस्तेमाल सिर्फ उस कंडीशन में करना चाहिए कि जहां पानी और साबुन की अवेलबिल्टी बिल्कुल भी न हो।

ज्यादा इस्तेमाल पहुंचा रहा है नुकसान

सेनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। ज्यादातर लोग खुजली व लाल चकत्ते निकलने के साथ ही हथेली में खुस्की की प्रॉब्लम से भी जूझने लगे हैं। हालत यह हो गई है कि ज्यादा इस्तेमाल करने पर हाथ में सूखापन आने से त्वचा फटने की शिकायत भी सामने आने लगी है। यही वजह है कि डॉक्टर्स भी अब इसे गैर जरूरी इस्तेमाल न करने की सलाह दे रहे हैं।

हाईलाइट्स -

- मार्केट में 50 रुपए से सेनिटाइजर की शुरुआत

- कंपनी के हिसाब से वैरी कर रहे रेट

- ब्रांडेड कंपनी के सेनिटाइजर के साथ ही लोकल सेनिटाइजर भी अवेलबल

- गोरखपुर की कंपनीज भी बना रही हैं सेनिटाइजर

- कई कंपनीज कर रही हैं घटिया अल्कोहल का इस्तेमाल

- नहीं पूरी कर रहे हैं डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन

सेनिटाइजर का इस्तेमाल ज्यादा करना खतरनाक है। हालांकि इसमें जो केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं, उनमें नुकसानदेह कुछ नहीं होता, फिर भी ज्यादा इस्तेमाल करने से खुस्की, खुजली, बर्न आदि की समस्या हो सकती है। दिन भर में दो-तीन बार से ज्यादा सेनिटाइजर का इस्तेमाल न करें। इससे एलर्जी हो सकती है। घर में हैं तो हैंडवॉश प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए साबुन का इस्तेमाल करें।

डॉ। नवीन वर्मा, स्किन स्पेशलिस्ट, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

कोरोना को देखते हुए सरकार ने जबसे सेनिटाइजर का प्राइज कंट्रोल करने के लिए इसे ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर (डीपीसीओ) में डाल दिया है। ज्यादातर कंपनियों ने सस्ता होने की वजह से आइसो प्रोपाइल की जगह इथाइल एल्कोहल का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ने इसे डीपीसीओ से बाहर करने की मांग की है, ताकि लोगों को क्वालिटी सेनिटाइजर मिल सके।

-योगेंद्र नाथ दुबे, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति

गोरखपुर में सेनिटाइजर बनाया जा रहा है। इसके लिए डब्ल्यूएचओ ने गाइडलाइन जारी की है, उसी के अकॉर्डिग केमिकल मिलाकर हम सेनिटाइजर बना रहे हैं। कस्टमर्स की सेहत हमारी प्राथमिकता है, इसलिए ऐसा प्रॉडक्ट बनाया जा रहा है, जिससे कि इस्तेमाल करने पर उन्हें कोई साइड इफेक्ट न हो।

- प्रवीण मोदी, महासचिव, चैंबर्स ऑफ इंडस्ट्रीज