गोरखपुर (ब्यूरो).बच्चों को वैक्सीनेशन के लिए जहां शासन-प्रशासन जोर दे रहा है, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट के सामने वैक्सीन के वेस्टेज एक बड़ा चैलेंज है। आलम यह है कि किसी भी बूथ पर 12-14 वर्ष तक के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए जाने वाले पेरेंट्स को वापस लौटना पड़ रहा है। वैक्सीनेटर प्रखर ने बताया कि 24 से 48 घंटे तक चक्कर लगाने के बाद बच्चों को वैक्सीन लग पा रही है। जिला अस्पताल में बनाए गए एमआरआई के वैक्सीनेशन सेंटर पर अब सभी प्रकार के वैक्सीन लगाए जा रहे हैैं। जिले का यह ऐसा बूथ हैै जहां पर सभी वर्ग के लोगों को सभी वैक्सीन लगाए जाने की सुविधा है, लेकिन 12-14 वर्ष के बच्चों के लिए आई कार्बोवैक्स वैक्सीन मुसीबत बन गया है। यही वजह है कि बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज नहीं हो पा रही है।

इकट्ठा करने में छूट जाता है पसीना

कोरोना से बचाव के लिए 12-14 वर्ष तक के बच्चों के लिए दी जाने वाली कार्बोवैक्स वैक्सीन के एक वॉयल में 20 डोज होते हैैं। वॉयल खोलने से पहले जब तक 10-15 बच्चे बूथ पर नहीं पहुंच जाते हैैं। तब तक वैक्सीनेटर वॉयल नहीं खोलते हैैं। यही वजह है कि काफी देर तक वैक्सीनेशन के इंतजार में पेरेंट्स को बूथ पर इंतजार करना मजबूरी बन जा रहा है। अगर बच्चे नहीं इकट्ठा हुए तो बच्चे संग पेरेंट्स को वापस कर दिया जा रहा है। जबकि बीते दिनों शासन की तरफ से जिला प्रशासन और हेल्थ डिपार्टमेंट को निर्देश जारी किया गया था कि वह बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ा जाए। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सुरक्षा कवच दिया जाए। लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट के उदासीन रवैये के कारण बच्चे वैक्सीनेटेड नहीं हो पा रहे हैैं।

तो ऐसे कैसे पूरा होगा लक्ष्य

वहीं 12 से 14 वर्ष के एक लाख 88 हजार 115 बच्चों को कोरोना का टीका लगाया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। शासन ने लक्ष्य निर्धारित कर इसकी सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी है। लेकिन अब तक महज 104851 बच्चों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है। वहीं 16530 दूसरी खुराक दी जा चुकी है। बीते दिनों सीएमओ डॉ। आशुतोष कुमार दुबे ने दावा किया था कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए स्कूलों में बूथ बनाया जाएगा, न तो बना बूथ और ना ही वैक्सीनेशन ने रफ्तार ही पकड़ सकी है।