गोरखपुर (ब्यूरो)। प्राइवेट वार्ड की हालत जहां पहले जर्जर भवन में उपचार होते थे, वहीं अब इस वार्ड की सूरत बदल चुकी है। सभी 102 रुपए चार्ज पे कर एडमिट होने के लिए एसआईसी और डॉक्टर के पास गुहार लगा रहे हैं। रियल्टी चेक करने पहुंचे रिपोर्टर को मौके पर गौरव मिले। उन्होंने बताया, प्राइवेट वार्ड की इंचार्ज आशु स्मिता है। वह छुट्टïी पर है। उनकी जगह अर्चना मेहता की ड्यूटी है। लेकिन वह विभागीय काम से दूसरी जगह ड्यूटी पर गईं है। जब रिपोर्टर ने प्राइवेट वार्ड का रियल्टी चेक किया और रूम नंबर 4 में पहुंचा तो वहां की व्यवस्था चका-चक मिली। बेड और ऑक्सीजन मशीन समेत किचन और टॉयलेट की व्यवस्था की गई है। बायो मेडिकल वेस्ट के लिए तीन डस्टबीन अलग से लगाए गए है। प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी साफ-सफाई के साथ-साथ तीन शिफ्ट में स्वीपर हर एक बेड रूम में सफाई करते हुए नजर आए रहे थे।

क्या कहते है मरीज

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जहां बेहतर उपचार और साफ-सफाई की व्यवस्था काफी अच्छी है, निशुल्क इलाज और बेहतर उपचार के कारण वह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पिछले चार दिन से भर्ती है। डॉक्टर राउंड पर आते है, हर एक मरीज से हाल चाल पूछने के बाद वह संतुष्ट जब तक नहीं हो जाते, तब तक नहीं जाते हैैं। इसी प्रकार स्वीपर, वार्ड ब्वाय समेत स्टाफ नर्स के व्यवहार भी काफी अच्छे है।

- रोशन लाल, मरीज

पैर और पेट में दर्द था, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दिखाने आए थे, डॉक्टर ने भर्ती करने के लिए कहा, परिजनों ने भर्ती कर दिया। उपचार यहां बेहतर है, सुबह शाम डॉक्टर आते है, अब पहले से बेहतर फील कर रहे है। एक दो दिन में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। यहां की व्यवस्था पहले से काफी सुधरी है।

- सुनीता देवी, मरीज

प्राइवेट वार्ड में लगने वाले शुल्क

- बेड चार्ज - 102 रुपए प्रति दिन

- ब्लड ट्रांसफ्यूजन - 201 रुपए प्रति पिक

- एलपी चार्ज 201 रुपए प्रति

- अल्ट्रा ऑट्री कुवर इंजेक्शन - 201 रुपए प्रति

प्राइवेट स्पेशल वार्ड में इनकी लगती है ड्यूटी

सिस्टर इंचार्ज

स्टाफ नर्स

वार्ड ब्वाय

स्वीपर

तीन शिफ्ट में लगती है मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी

- सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक

- दोपहर 2 से रात 8 बजे तक

- रात 8 से सुबह 8 बजे तक

फैक्ट फीगर

जिला अस्तपाल के ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स - 1500-1600

इमरजेंसी में आने वाले पेशेंट्स की संख्या - 750-1000

डेली एडमिट होने वाले मरीज - 150-200

प्राइवेट वार्ड का भवन पहले बहुत जर्जर था, उसका रिनोवेशन हो चुका है, सभी कमरे में टाइल्स लगाया गया है। ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है। किचन और बाथरूम अलग से है। मरीज के एडमिट होने पर तीमारदार भोजन बना कर अपने परिजन को खिला सकते है। साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मचारी तीन शिफ्ट में ड्यूटी करते है।

- डॉ। एसी श्रीवास्तव, एसआईसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल