गोरखपुर (ब्यूरो)।बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में हुए स्टडी के दौरान यह मामला सामने आने के बाद डीप इनवेस्टिगेशन शुरू हो गई है। इन सभी बैक्टीरिया, वायरस व फंगस का कल्चर कराकर सटीक एंटीबायोटिक दवा दी जाएंगी। अब बच्चों और किशोरों को यह प्रॉब्लम होने पर रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। तुरंत सटीक दवा देकर बीमारी कंट्रोल की जा सकेगी।

एक सप्ताह का लगता है समय

कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट आने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। तब तक पेशेंट्स को अंदाज से एंटीबायोटिक देनी पड़ती थी। कभी-कभी वह दवा काम नहीं करती थी और खुद ही रेजिस्टेंस विकसित कर देती थी। इसे ध्यान में रखते हुए बाल रोग विभाग ने स्टडी किया, ताकि इंफेक्शन के बैक्टीरिया, वायरस व फंगस का पता लगाकर उनके इलाज खोजा जा सके।

130 बाल पेशेंट्स पर स्टडी

किडनी के 130 बाल पेशेंट्स पर हुए स्टडी में 26 बच्चों में किसी तरह का संक्रमण नहीं मिला, लेकिन 104 बच्चों और किशोरों पर 10 बैक्टीरिया, वायरस व फंगस ने हमला किया था। गोरखपुर-बस्ती मंडल व बिहार के पश्चिमी चंपारण के डेढ़ साल से लेकर 16 साल तक के बच्चे और किशोर शामिल थे। इसमें एक की मौत हो गई। शेष सभी को बचा लिया गया। गंदा पानी, मच्छर, पॉल्युशन आदि इन बैक्टीरिया, वायरस व फंगस के वाहक है।

एंटीबायोटिक पर स्टडी

स्टडी करने वाले डॉ। राहुल सिंह ने बताया कि स्टडी के दौरान यह तय करने में आसानी होगी कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बच्चों में कौन सी एंटीबायोटिक सर्वाधित असरदार होगी। इससे बच्चों व किशोरों का इलाज आसान होगा ही भविष्य के लिए उन्हेंं अलर्ट भी किया जा सकेगा।

इन बच्चों में मिले इंफेक्शन

ट््यूबरकोलोसिस 02

रेस्पेरेटरी ट्रैक् इंफेक्शन 36

सेप्टीसीनिया 26

पेरीटोनाइटिस 10

यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन 22

मिक्स इंफेक्शन 08

ईस्ट यूपी व बिहार में ऐसे एक वायरस, सात बैक्टीरिया व दो फंगस मिले है, जो बच्चों व किशोरों की किडनी खराब कर रहे हैं। स्टडी से इनसे बच्चों को बचाने का उपाय ढूंढ लिया गया है।

- डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी बाल रोग विभाग, बीआरडी