- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के वेबिनार में नगर निगम के चीफ इंजीनियर व गोरखपुर के सिटीजन ने शेयर किए एक्सपीरियंस और सजेशन

- सिटी को जलभराव से बचाने 3200 करोड़ की योजना पर चल रहा काम

- सिटी के 7 एरियाज में जलभराव की है प्रॉब्लम

GORAKHPUR: मानसून में पब्लिक को जलभराव से निजात दिलाने के लिए नगर निगम हर बार प्लान तैयार करता है। ड्रेनेज सिस्टम की बात की जाती है। लेकिन शुरुआती बारिश में ही इसका सच सामने आ जाता है। सिटी के कई एरिया में कहीं नाले चोक हैं तो कहीं नाले बनाए ही नहीं गए। जहां बनाए गए, वहां उन्हें बड़े नालों से कनेक्ट नहीं किया गया। इस वजह से पब्लिक को जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर नगर निगम इसकी पहले से तैयारी कर ले तो प्रॉब्लम नहीं होगी। रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के 'डिस्कशन आन ड्रेनेज सिस्टम ऑफ सिटी विद् ऑफिशियल्स' टॉपिक पर हुए वेबिनार में गोरखपुराइट्स ने जहां प्रॉब्लम बताई। वहीं, नगर निगम के चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्र ने जलभराव की वजह और सोल्युशन के लिए किए जा रहे व‌र्क्स की डिटेल शेयर की। वेबिनार का संचालन दैनिक जागरण आईनेक्स्ट गोरखपुर के संपादकीय प्रभारी शिशिर मिश्र ने किया।

तो इसलिए होता है गोरखपुर में जलभराव

वेबिनार में नगर निगम के चीफ इंजीनियर ने बताया, किसी भी प्रॉब्लम को खत्म करने आपसी संवाद जरूरी है। हमें गोरखपुर में पांच साल हो गए। गोरखपुर के ढांचे को समझ चुका हूं। सिटी से सटी नदियां ऊंचाई पर हैं और सिटी पूरी तरह से नीचे है। इस वजह से यहां जलभराव की स्थिति बनी रहती है। रेगुलेटर पर पंप लगाए गए हैं। इसमें डीजल के 42 और बिजली के 16 और 10 सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं। जिन जगहों पर ज्यादा पानी भरा होता है, वहां 12 महीने तक पंप चलते हैं। 88 स्थल ऐसे हैं, जहां बराबर पानी भरा रहता है। इन जगहों पर 90 पंप लगाए गए हैं कुल 185 पंप लगे हैं।

नगर निगम से जुड़े 32 गांव

नगर निगम में 32 नए गांव जुड़े हैं। जहां से शिकायतें आ रही हैं। हमारा पूरा सिस्टम काम कर रहा है। शहर में जलभराव की समस्या न हो। इसके लिए एक एजेंसी काम कर रही है। विभिन्न एरियाज का सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए डीपीआर भी बनाई गई है। 3200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। स्काडा योजना के तहत ऑटोमेटिक सिस्टम लगाने के साथ कई जगहों पर क्षमता बढ़ाई जाएंगी, ताकि जमा पानी जल्द निकल जाए।

गोड़धोइया नाला बन जाए तो दूर होगी प्रॉब्लम

ज्यादातर इलाके का पानी गोड़धोइया नाले में जाता है। यह नाला बन जाए तो बिछिया, मेडिकल कॉलेज, राप्तीनगर, गणेशपुरम्, पादरी बाजार की समस्या दूर होगी। सिटी को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए 193 करोड़ की योजना बनाई जा रही है। योजना में ड्रेनेज सिस्टम और नालों का निर्माण शामिल है। जलनिकासी के लिए पंप के अलावा बिजली के ज्यादा से ज्यादा पंप मंगवाए जाने हैं। जिससे किसी भी एरिया में जलभराव की समस्या से तो उसे तत्काल दुरुस्त कराया जा सके। नगर निगम के आला अफसर और कर्मचारी विभिन्न इलाकों में लगे हैं। पब्लिक भी पूरा सहयोग कर रही है।

नालों पर इंक्रोचमेंट सबसे बड़ी प्रॉब्लम

सिटी में 11 मेजर नाले हैं। मानसून से पहले बड़े और छोटे नाले की सफाई कराई जाती है। नालों पर काफी लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। कई जगह पर भी मकान और दुकान तक बने हैं। इस वजह से नालों की सफाई में व्यवधान उत्पन्न होता है। लिहाजा पब्लिक को भी नगर निगम का सपोर्ट करना चाहिए।

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के सवाल, निगम सीई ने दिए जवाब

सवाल: शहर के किन-किन इलाकों से जलभराव की शिकायतें ज्यादा हैं? जवाब: सिटी के सात एरिया सिंघडि़या, वंसुधरा कॉलोनी, राप्तीनगर के गणेशपुरम्, पादरी बाजार, गंगा टोला समेत मेडिकल कॉलेज क्षेत्र के अन्य एरिया, नकहा नंबर एक फ्लाईओवर आदि इलाकों जलभराव की प्रॉब्लम है। सिघडि़या नाले का निर्माण कर उसे तुर्रा नाले से जोड़ा जा रहा है। नाले के रास्ते में बिल्डिंग आने की वजह से दिक्कत आई। वहीं जीडीए के तरफ से बनाया गया नाला डायरेक्ट कर दिया गया। इस वजह से एयरफोर्स का पानी देवरिया रोड पर जमा हो गया। बोरे में बालू भरकर उसे रोका गया। साथ ही एम्स के नाले से उसे डायवर्ट किया।

सवाल: मानसून के पहले नाला सफाई के कार्य हुए या नहीं?

जवाब: नालों की सफाई कराई गई है। वर्तमान में भी नगर निगम की पूरी टीम जलनिकासी के काम में लगी है। ताकि जल्द से जल्द सड़कों में जमा पानी निकाला जा सके।

सवाल: भविष्य में बारिश होने पर त्वरित जलनिकासी की क्या व्यवस्था है?

जवाब: बाहर से पंपिंग मशीनें मंगाई जा रही हैं। नगर निगम में जुड़े 32 गांव में 193 करोड़ से रोड और ड्रेनेज का काम कराया जाएगा। जलजमाव को कंट्रोल करने के लिए 3200 करोड़ की योजना पर काम किया जा रहा है।

फैक्ट फीगर

230 नाले सिटी में हैं कुल

2,32,570 मीटर है नालों की कुल लंबाई

11 बड़े नाले हैं सिटी में

96 मझोले नाले

123 छोटे नाले

300 से अधिक कंप्लेन 3 दिन में नगर निगम कंट्रोल रूम में आई

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कोट

हमारा एरिया रोड से काफी नीचे है। चार साल से नालों की सफाई नहीं हुई। जलनिकासी नहीं होने के कारण बारिश का पानी घरों में घुस जाता है। जमा पानी से दुर्गध होती है। कई जगहों पर नाली की भी सुविधा नहीं है। इस वजह से लोगों को प्रॉब्लम से जूझना पड़ता है।

तनु शर्मा, पादरी बाजार

कॉलोनी के बगल में पोखरा है। हर बारिश में इलाका जलमग्न हो जाता है। पोखरा आवेरफ्लो हो जाता है। जलनिकासी में दो माह लग जाते हैं। पोखरे से सटा फोरलेन है। सड़क के बगल से नाले पर अतिक्रमण है। जलनिकासी के लिए पंपिंग सेट लगाए गए हैं। लेकिन यह कुछ देर के लिए ही चलते हैं। ऐसे में आने-जाने वालों के लिए अभी भी प्रॉब्लम बनी रहती है।

प्रखर श्रीवास्तव, गणेशपुरम

वार्ड 70 का एरिया बहुत बड़ा है। अगल-बगल के इलाकों में जलभराव की स्थिति बनी है। पार्षद से इस संबंध में बात की जाती है तो वह सिर्फ आश्वासन देते हैं। इलाके में पानी भरने की वजह से लोगों को नरकीय जीवन से जूझना पड़ रहा है। मोहल्ले में छोटे-छोटे नाले हैं। जो स्पो‌र्ट्स कॉलेज के बड़े नाले से कनेक्ट नहीं है। इस कारण प्रॉब्लम होती है।

मनोज शर्मा, गणेशपुरम्

मोहल्ले में बारिश का पानी अभी भी जमा है। वॉटर लॉगिंग की वजह से बीमारियां फैलती हैं। नगर निगम की तरफ से जलनिकासी का प्रबंध नहीं किया जा सका है। जलभराव की वजह से घर के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं परेशान हैं। कई दिनों से छुट्टी लेकर घर बैठा हूं। आने जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

अभय चौधरी, गंगा टोला

जिन इलाकों में जलभराव की प्रॉब्लम है। वहां पंपिग सेट लगाए गए हैं। साथ ही और नये पंप की डिमांड की गई हैं। हम पंप के अलावा बिजली के ज्यादा से ज्यादा पंप मंगवा रहे हैं, ताकि जलभराव की समस्या से निपटा जा सके। नगर निगम के अफसर और कर्मचारी विभिन्न इलाके में लगे हैं। पब्लिक भी पूरा सहयोग कर रही है। पब्लिक की समस्या को दूर करना हमारी जिम्मेदारी है।

इंजी। सुरेश चंद्र, चीफ इंजीनियर नगर निगम