- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज किया गया बेबिनार

- एक्सपर्ट ने बदलते मौसम और होने वाली बीमारियों को लेकर रखे अपने विचार

<- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज किया गया बेबिनार

- एक्सपर्ट ने बदलते मौसम और होने वाली बीमारियों को लेकर रखे अपने विचार

GORAKHPUR: GORAKHPUR: मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। कभी बारिश तो कभी धूप खिल जा रही है। इसकी वजह से बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल हो या सरकारी, सभी जगहों पर आम दिनों के मुकाबले ज्यादा मरीज पहुंचने लग गए हैं। डायरिया, बुखार, खांसी, वायरल फीवर, मलेरिया और त्वचा रोग संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। ऐसे में इन प्रॉब्लम से कैसे बचा जाए? क्या तरीके अपनाए जाएं कि बीमारियों की संभावना कम हो जाए? इन सभी सवालों को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से रविवार को वेबिनार ऑर्गनाइज किया गया। इसमें शामिल हुए एक्सप‌र्ट्स ने न सिर्फ बीमारियों की पहचान और इससे जुड़ी जानकारियां दी, बल्कि इससे बचाव के नुस्खे भी बताए।

खतरनाक है यह मौसम

मौसम का मौजूदा हाल पेशेंट्स के लिए तो काफी खतरनाक है ही, वहीं जो बीमार नहीं हैं, उन्हें भी इसे लाइटली नहीं लेना चाहिए। टेंप्रेचर की उठापटक काफी तेज हो गई है, सुबह और शाम के टेंप्रेचर बिल्कुल करीब आ गया है। ऐसे में जो टेंप्रेचर है उसमें वायरस की ग्रोथ काफी तेज हो जाती है। इस ग्रोथ में शरीर एक वाहक के तौर पर इस्तेमाल होता है। बाहर के टेंप्रेचर को मेनटेन करने के लिए वाइरस ह्यूमन बॉडी का इस्तेमाल करते हैं और अपनी लाइफ स्टाइल को मेनटेन करते हैं। मगर लगातार बदल रहे टेंप्रेचर में बॉडी खुद टेंप्रेचर मेनटेन करने में नाकाम है, जिसकी वजह से लोग लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

कोरोना संक्रमण काल चल रहा है। किसी भी बीमारी को हल्के में न लें और सबको कोविड से ही जोड़कर देखें। अगर हल्का का भी सिम्प्टम नजर आता है तो कोविड टेस्ट जरूर करा लें। डायरिया भी कोविड का ही एक सिम्प्टम है। बहुत से डायरिया में ब्लड आता है जो गंभीर वजह है। बीमारियों की हिस्ट्री से ही उसके बारे में डायग्नोसिस की जा सकती है। वायरल फीवर की भी संभावना बढ़ जाती है। इसे गंभीरता से लें और तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क कर परामर्श लें।

डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फीजिशियन

बारिश का समय वायरल डायरिया है। इस मौसम में कई तरह के डिजीज होते हैं। जैसे बुखार आना, दस्त होना, पेट में दर्द बना रहना आदि उनका इलाज करते हैं और ब्लड की जांच कराई जाती है। किसी तरह का बैक्टिरिया है उसके हिसाब से मरीज को दवा दी जाती है। कोविड के समय मास्क लगाना बेहद जरूरी है। मुंह, नाक खुला रहने से बैक्टिरिया प्रवेश करता है। जो शरीर के लिए घातक होता है। हाथ को बार-बार साबुन से धोना चाहिए। यदि किसी तरह का सिमटम हो तो तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

डॉ। बीके सुमन, फीजिशियन, जिला चिकित्सालय

बच्चों को मौसम के इस बदलाव से बचाया जा सकता है। बच्चों के लिए जो भी टीके आते हैं, उन्हें जरूर लगवाएं। इससे काफी बीमारियों के प्रति उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता जनरेट हो जाती है। कोरोना की तीसरी लहर की बात करें तो बच्चों पर असर होने की बात कही जा रही है। मगर सीरो सर्वे के बाद स्टडी में बात सामने आई है कि बच्चों में फ्0 परसेंट तक एंटीबॉडी जनरेट हो चुकी है, इसलिए उन पर इसका असर कम होगा।

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

मौसम के इस चेंज के दौरान सबसे ज्यादा प्रॉब्लम स्किन से जुड़ी सामने आती है। घमौरियों भी इस मौसम में खूब परेशान करती हैं। इसके लिए ऐसे मौसम में बेवजह बाहर निकलने से बचना चाहिए। वहीं फंगल इंफेक्शन की भी संभावना इस पीरियड में रहती है। ऐसे में दो बार नहाएं। म्वॉइश्चर से बचें और ऐसी जगहों पर रहना अवॉइड करें। कोई भी प्रॉब्लम या इलर्जी हो तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लें।

- डॉ। नवीन वर्मा, स्किन स्पेशलिस्ट, जिला चिकित्सालय

एक्सपर्ट पैनल

डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फिजिशियन, श्रेया क्लीनिक

डॉ। बीके सुमन, फिजिशियन, जिला अस्पताल

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

डॉ। नवीन वर्मा, स्किन स्पेशलिस्ट, जिला अस्पताल

सवाल - मौसम बदल रहा है बारिश में किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

जवाब-इस समय बैक्टिरियल इंफेक्शन के साथ फूड प्वाइंजनिंग के केस बढ़ जाते हैं। साथ ही मच्छर काटने से डेंगू, चिकनगुनिया, टाइफाइड, डायरिया, कामन फ्लू, हेपटाइटिस जैसी बीमारी हो सकती है।

सवाल - इन बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है?

जवाब - बहुत सारे बचाव के तरीके हैं। ऐसे सिम्प्टम को आसानी समझे और थोड़े समय के लिए गंभीर रहे। ज्यादा परेशानी होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। बाहर की चीजों से परहेज करें और घर का बना हुआ भोजन इस्तेमाल करें। साथ ही साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें।

सवाल- इस समय जिला अस्पताल में किस तरह के केस आ रहे हैं?

जवाब- बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा जलजनित रोगों के साथ मच्छर काटने से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डेंगू, मलेरिया के साथ खासकर डायरिया, हेपेटाइटिस, खांसी, जुकाम, वायर फीवर आदि के पेशेंट्स आ रहे हैं।

सवाल - कोरोना काल में इन मरीजों का इलाज कैसे किया जा रहा है?

जवाब - अस्पताल में आने वाले मरीजों का पहले कोरोना जांच कराई जाती है। अगर एंटीजेन निगेटिव है, तो उनको जरूरी दवाएं लिखी जाती हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है तो पहले उनका कोविड ट्रीटमेंट चलता है। साथ ही सभी पेशेंट्स को साफ-सफाई, रेग्युलर मास्क के साथ सेनेटाइजर आदि की सुझाव दिया जाता है।

सवाल-कोरोना की तीसरी लहर आ रही है। इससे बच्चे ज्यादा संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में क्या किया जाए?

जवाब- सभी डिजीज कामन हैं। बच्चों की इम्युनिटी पॉवर स्ट्रांग होती है। कुछ डिजीज ऐसे होती है। उसे वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है। कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हाथ को साबुन से साफ तरीके से धोएं, साथ ही हाईजीन को मेंटेन करें।

सवाल - बच्चों पर कोविड का किस तरह असर पड़ सकता है?

जवाब - कोविड को लेकर अभी एम्स में एक्सपटर्स की स्टडी हुई। जिसमें बच्चों की एंटीबॉडी जनरेट हो चुकी है और वह स्ट्रांग पाई गई है। यदि बच्चों के परिवार में कोविड हुआ है तो उसे डायरिया आदि बीमारी हो सकती है। ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में क्00 बेड का आइसीयू अस्पताल तैयार कर लिया गया है ताकि तीसरी लहर आए तो इसमें बच्चों को बचाया जा सके।

सवाल-इस बदले मौसम में चर्म रोगों से कैसे बचा जा सकता है?

जवाब- बरसात नमी का मौसम होता है। फंगल इंफेक्शन के ज्यादा केस आते हैं। बारिश में भीग जाने से शरीर में दाने हो जाना, बार-बार खुजली होना आदि समस्या बनी रहती है। वहीं महिलाएं अक्सर किचन में काम करती है। पसीना होने की वजह से स्किन की बीमारी बढ़ जाती है। दाद होना, अधेड़ी आदि बीमारी बढ़ जाती है।

सवाल - इस मौसम में बच्चों को भूख न लगने की शिकायत है? इसकी क्या वजह है?

जवाब - कोविड पीरियड में बच्चे अपने घर पर ही मौज मस्ती कर रहे हैं। स्कूल की छुट्टियां हैं, ऐसे में यदि वह भोजन नहीं करते हैं तो घबराने की बात नहीं है। फिजिकल एक्टिविटी कम होने से खाना जल्दी डाइजेस्ट नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से भूख नहीं लगा रही है।

यह भी दिए सजेशन -

- बाहर की बनी हुई चीजें खाने से परहेज करें।

- घर में बना हुआ भोजन का ही प्रयोग करें।

- साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।

- रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

- प्रॉपर मास्क लगाए।

- हाथ को बार-बार साबुन से धोएं ।

- सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

- कोई भी बीमारी हो रही है तो अपने से दवाओं को सेवन न करें

- बारिश और नमी से बचें।

- किचन में काम करने वाली महिलाएं ठंडे पानी से हाथ को धोएं और स्नान करें।

- मच्छरों से बचने के लिए पूरा हाथ पैर ढकें।

- बारिश में यदि भीग गए हैं तो गीले कपड़े न पहनें।

- सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें।

- फुल बाह के कपड़े का इस्तेमाल करें।