- शारदीय नवरात्रि को लेकर गोरखपुराइट्स की तैयारियां पूरी

GORAKHPUR : आज से शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। इसी दिन कलश व ध्वज स्थापित किया जाएगा और श्रद्धालु व्रत रहकर मां भगवती की आराधना करेंगे। ज्योतिषाचार्य पं। शरद चंद्र मिश्र के अनुसार जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रह सकते, वे सप्तमी, अष्टमी व नवमी इन तीन तिथियों में व्रत करें तो उनकी कामना सिद्ध हो जाती है। वहीं गोरखपुराइट्स ने नवरात्रि सेलिब्रेशन को लेकर तैयारियां भी कर ली हैं।

दोपहर से पहले कर लें कलश की स्थापना

शारदीय नवरात्रि ख्भ् सितंबर से प्रारंभ होकर ख् अक्टूबर तक है। ख्भ् सितंबर को प्रतिपदा तिथि दिन में क्ख् बजकर ख्म् मिनट तक है, हस्त नक्षत्र सायंकाल 7 बजकर ब्9 मिनट तक है। मारकंडेय पुराण के अनुसार द्वितीया तिथि युक्त प्रतिपदा कलश स्थापना के लिए उत्तम है। इसलिए इस दिन (ख्भ् सितंबर) को सूर्योदय म् बजकर क् मिनट से दोपहर क्ख् बजकर ख्म् मिनट तक कलश स्थापना किया जा सकता है।

ख् अक्टूबर को है अष्टमी व नवमी

क् अक्टूबर को सप्तमी युक्त अष्टमी होने से यह व्रत के लिए ग्राह्य नहीं है। नौ दिन व्रत रखने वाले ख् अक्टूबर को नवमी युक्त अष्टमी का व्रत रखेंगे। जो लोग नवरात्र के पहले दिन व अष्टमी को व्रत रहते हैं, वे इसी दिन व्रत रहेंगे। इसी दिन नवमी व्रत भी रखा जाएगा क्योंकि ख् अक्टूबर को प्रात: 8.फ्0 बजे तक अष्टमी तिथि है। इसके बाद संपूर्ण दिन व रात्रिपर्यत नवमी तिथि है। फ् अक्टूबर को नवमी प्रात: म्.ख्ब् बजे तक ही है जो सूर्योदय से मात्र क्8 मिनट बाद तक है। इसलिए ख् अक्टूबर को ही कन्या पूजन, हवन व नवमी व्रत किया जाएगा। हवन ख् अक्टूबर को प्रात: 8.फ्0 बजे से फ् अक्टूबर को प्रात: म्.ख्ब् बजे तक कर सकते हैं। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी।

सूर्योदय के बाद कलश की स्थापना की जा सकती है, लेकिन अभिजीत नक्षत्र क्क्.ख्ब् से दोपहर क्ख्.क्ख् बजे के बीच शुभ मुहूर्त है। इस बीच कलश की स्थापना अच्छी मानी जाती है।

डॉ। राज कुमार पाण्डेय, ज्योर्तिविद व वास्तुविद