गोरखपुर (ब्यूरो).उन्होंने बताया कि सेना में महिलाओं की भागीदारी 1888 में नर्र्सो की भूमिका के रूप में शुरू हुई थी। पर महिलाओं को फौज में लाने की पहली व्यवस्थित पहल नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी। आजाद हिंद फौज में उन्होंने अलग से महिला बटालियन स्थापित कर यह सिद्ध किया था कि औरतें भी सेना में आ सकती हैं। ब्रिगेडियर रावत ने बताया कि भारतीय सेना में 1992 से महिलाओं को कमीशन मिलना शुरू हुआ और 2019 के बाद सेना के सभी अंगों में उनके प्रवेश की अनुमति मिली। व्याख्यानमाला की विशिष्ट वक्ता भारतीय वायुसेना की सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल ने कहा कि शारीरिक बनावट के आधार पर ऐसा माना जाता था कि महिलाएं सेना के लिए सक्षम नहीं हैं। लेकिन, शारीरिक शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है। मानसिक शक्ति व दृढ़ इच्छाशक्ति।
आशीष चौधरी ने किया मंच का संचालन
व्याख्यानमाला की अध्यक्षता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ। अतुल वाजपेयी ने तथा आभार ज्ञापन साध्वीनन्दन पांडेय ने किया। इस अवसर पर गुरु गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल डॉ। डीएस अजीथा, गुरु श्रीगोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के प्रो। गणेश बी पाटिल, डॉ। प्रज्ञा सिंह, डॉ। सुमित कुमार, डॉ। दीपू मनोहर, डॉ। पीयूष वर्षा, डॉ। एसएन सिंह, डॉ। जसोबेन, डॉ। प्रिया नायर आदि की सक्रिय सहभागिता रही। मंच संचालन आशीष चौधरी व शुभांकर वत्स ने किया।
शनिवार का व्याख्यान
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव ने बताया कि सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के अंतर्गत 27 अगस्त की दोपहर 3 बजे से 'योग एवं आयुर्वेद की प्रगति में गोरक्षपीठ का योगदानÓ विषय पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के प्रो। उदय प्रताप सिंह व वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ। दिनेश सिंह का व्याख्यान होगा।