जिला अस्पताल में छह माह में ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या

अप्रैल

Male-  166 Female- 10

मई

Male - 107 Female- 5

जून

Male - 97 Female- 5

जुलाई

Male - 98 Female- 4

अगस्त

Male -101 Female- 6

सितंबर

Male - 142 Female- 15

गुरू गोरखनाथ चिकित्सालय

प्लेटसमेंट के रूप में ब्लड डोनेट करने की संख्या

Total - 13230 डोनर

Female - 459

Male - 12771

स्वेच्छा से ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या

Total- 402

Female -34

Male- 368

(जनवरी 2013 से सितंबर 2013 तक)

जागरूकता और मानसिकता की कमी ने किया वूमंस को पीछे

ब्लड डोनेट करने वालों में पीछे करने में जागरूकता पूरी तरह से हावी है। भ्रांतियों ने बहुत पीछे ढकेल दिया है। ब्लड डोनेट करने को लेकर सिटी में भ्रम है कि नपुसंकता, बीमार रहने के साथ ही साथ पूरे जीवन भर कमजोर बने रहते हैं। कई माताएं तो अपने बच्चों को इसलिए रोकती हैं क्योंकि उनका मानना है कि एक बार ब्लड निकल जाने के बाद खून की कमी जीवन भर बनी रहती है।

भ्रांतियां और जागरूकता की कमी को दूर करके ही फीमेल्स में ब्लड डोनेशन को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही उन्हें शारिरिक रूप से कमजोर मान कर उन्हें इससे दूर रखा जाता है।

-डॉ। अवधेश अग्रवाल, प्रभारी ब्लड बैंक व उप चिकित्साधिकारी गुरू गोरक्षनाथ चिकित्सालय

अक्सर महिलाओं में हीमग्लोबीन की कमी के कारण ब्लड बैंक उनका ब्लड लेने से कतराते हैं। इसका यही तरीका है कि फीमेल्स को अमरूद, गुड़, पालक, सेब को खाना चाहिए, ताकि फीमेल्स में हीमोग्लोबिन की कमी न हो।

-डॉ। केएम सिंह, प्रभारी, ब्लड बैंक, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

महिलाओं को आगे आकर ब्लड डोनेट करना चाहिए। हालांकि गोरखपुर में अवेयरनेस की कमी है। हम सामाजिक संगठनों द्वारा लगातार महिलाओं को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं।

शालिनी सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता

घरेलू महिलाओं में बहुत परेशानी होती है। ब्लड डोनेट करने की इच्छा तो होती है, लेकिन झिझक के चलते वे अपनी इच्छा कई बार किसी से कह नहींपाती हैं।

-श्रीमती स्मृति संतोष

report by : saurabh.upadhyay@inext.co.in