गोरखपुर (ब्यूरो)।पाश्चात्य देश मनुष्य को देखकर उन्हीं के अनुरूप बना रहे हैं और फिर उन्हीं मशीनों से मनुष्य की चिकित्सा कर रहे हैं। यदि हम अपने शरीर को मशीन मानेंगे तो पूरी दुनिया मशीन हो जाएगी। प्रो। पीटर निक मंगलवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में अंतरराष्ट्रीय अतिथि व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।

स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग का निवारण

बीएएमएस के स्टूडेंट्स से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पांच हजार वर्ष पुरानी है। उसके बाद के काल में पाश्चात्य चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स पर चरक संहिता में निहित उपदेशों का प्रभाव दिखता है। आयुर्वेद में प्रकृति का वर्णन है और इसमें प्रकृति के अनुसार चिकित्सा का विधान है। पश्चिमी चिकित्सा पद्धति दीर्घकालिक रोगों में इस सिद्धांत का अनुसरण कर रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का प्रयोजन है स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग का निवारण करना। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अबरोगी के इलाज से महत्वपूर्ण रोग होने के कारण को समाप्त करने पर कार्य करने लग गया है। प्रो। निक ने कहा कि वर्तमान समय में चिकित्सा के विभिन्न प्रणालियों का एकीकरण सर्वोत्तम हितकर है।

नवाचार से जुड़ा है स्टार्टअप

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय अतिथि व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ। अतुल कुमार वाजपेयी ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय ज्ञान परम्परा की विरासत है। यह प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति पूरी दुनिया के लिए आरोग्यता का उपहार है। उन्होंने बताया कि यह संस्थान आयुर्वेद के क्षेत्र में अध्ययन के साथ ही शोध, नवाचार व स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित करने में जुटा है। आभार ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य मंजूनाथ एनएस ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ। प्रदीप कुमार राव समेत सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।