- साइबर क्रिमिनल्स से निपटने को दिलाई गई ट्रेनिंग

- मजबूत चेन ऑफ कस्टडी से शातिरों को दिलाएंगे सजा

GORAKHPUR:

अभियोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश की तरफ से साइबर क्राइम एंड इनफार्मेशन सिक्योरिटी एवं चेन ऑफ कस्टडी वर्कशॉप रविवार को आर्गनाइज किया गया। एनेक्सी भवन में प्रोग्राम का इनागरेशन करते हुए एडीजी जोन दावा शेरपा ने कहा कि समय के साथ हर चीज की उपयोगिता बदल जाती है। इसलिए पुलिस कर्मचारी खुद को अपग्रेड करें। कानून की किताबों को पढ़ने की आदत डालें। कोई यह कहकर नहीं बच सकता है कि हमें यह काम नहीं आता है। साइबर क्राइम से निपटने के लिए हर किसी को नई जानकारी रखने की जरूरत है। एडीजी ने एसपीओ बीडी मिश्रा को प्रोग्राम के आयोजन के लिए बधाई दी। संचालन करते हुए एसपीओ ने कहा कि सत्य को साक्ष्य बनाकर पेश करें जिससे कि कोर्ट के निर्णय आदेश नहीं, बल्कि न्याय बनें। निर्णय से न्याय नहीं मिलता है। न्याय, सत्य से मिलता है। कोई भी अपराध मानव सभ्यता के खिलाफ होता है।

चेन ऑफ कस्टडी पर दिया गया जोर

वर्कशॉप में साइबर एक्सपर्ट एसआई महेश चौबे ने साइबर क्राइम और इंफार्मेशन सिक्योरिटी के बारे में जानकारी दी। चैलेंज इन इनवेस्टिगेशन एंड प्रास्कीक्यूशन चेन आफ कस्टडी एप्रीसिएशन आफ एविडेंस के बारे में देवरिया के एसपीओ राजीव कुमार ने बताया। पाक्सो एक्ट में इनवेस्टिगेशन अफसर की भूमिका, स्पीडी ट्रायल एंड प्रासीक्यूशन एवं प्रोटेक्शन आफ विटनेसेज इन आ‌र्म्स एक्ट के बारे में एक्सपर्ट्स ने जानकारी दी। एडी अभियोजन गोरखपुर रेंज अजय कुमार सिंह की तरफ से आर्गनाइज वर्कशॉप में सर्टिफिकेट भी दिया गया। शशिशंकर राय, शशिकांत जायसवाल सहित अन्य साइबर एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी। इस दौरान डीआईजी राजेश मोदक, एसएसपी डॉ। सुनील गुप्ता, सीओ, एसओ और गोरखपुर रेंज के अभियोजक और विवेचक मौजूद रहे। वर्कशॉप में मौजूद इंस्पेक्टर और एसआई ने साक्ष्य संकलन के दौरान आने वाली व्यवहारिक समस्याओं पर सवाल पूछे। कोर्ट में एविडेंस पेश करने से लेकर मुकदमे के निस्तारण तक बरती जाने वाली सावधानी की जानकारी ली।

वर्कशॅाप में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

साइबर क्राइम क्या है। इसके कितने प्रकार हैं।

इंडिया में साइबर क्राइम के खिलाफ क्या-क्या कानून हैं।

फाइनेसिंयल फ्राड क्या है। इसमें किस तरह से फ्राड होता है। इसकी जांच कैसे होगी।

साइबर क्राइम के मामले में इलेक्ट्रानिक डिवाइस को जब्त करने की क्या प्रक्रिया होनी चाहिए।

ईमेल से होने वाले क्राइम में किन-किन बातों की जांच होगी। क्रिमिनल को पकड़ने के लिए क्या कदम उठाएंगे।

इलेक्ट्रानिक डिवाइस से क्रिमिनल के खिलाफ सबूत कैसे जुटाए जाएंगे। इस दौरान क्या-क्या सावधानी बरती जानी चाहिए।

पॉक्सो एक्ट में क्या-क्या बदलाव आए हैं। जांच से लेकर मुल्जिम को सजा दिलाने तक किस तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए।

साइबर क्राइम से बचने के बताए उपाय

- आनलाइन काम करने के बाद वेबसाइट को लागआउट-साइन आउट जरूर करें।

- किसी साइट पर अपने यूजर नेम और पासवर्ड को रिमेंबर के लिए सेव करने से बचें।

- किसी तरह के अहम डाटा और जानकारी का एक बैकअप अपने लिए हमेशा तैयार रखें।

- कंप्यूटर नेटवर्क के लिए सिक्योरिटी प्रोग्राम का इस्तेमाल जरूर करें।

- पासवर्ड को हमेशा अक्षरों और संख्याओं को मिलाकर बनाएं। ऐसा पासवर्ड रखें जो क्रेक न हो सके।

- सोशल नेटवर्किग साइट पर अपनी कोई प्राइवेट जानकारी शेयर करने से हमेशा बचाव करें।

- किसी तरह के फाइनेसिंयल लेनदेन के बाद कंप्यूटर, मोबाइल से टेंपरोरी इंटरनेट फाइल्स को जरूर डिलीट कर दें।

- अपने साफ्टवेयर पैकेज को नियमित रूप से अपडेट करते करें। ईमेल पर भरोसेमंद लिंक को ही ओपेन करें।