-व‌र्ल्ड हियरिंग लॉस डे स्पेशल

-मीनियर से एक कान में होती है प्रॉब्लम, कान के परदे के पीछे पानी भर जाने से भी बढ़ती है प्रॉब्लम

-सीटी बजने जैसी आती है आवाजें, फौरन डॉक्टर का दिखाना जरूरी

<-व‌र्ल्ड हियरिंग लॉस डे स्पेशल

-मीनियर से एक कान में होती है प्रॉब्लम, कान के परदे के पीछे पानी भर जाने से भी बढ़ती है प्रॉब्लम

-सीटी बजने जैसी आती है आवाजें, फौरन डॉक्टर का दिखाना जरूरी

GORAKHPUR: GORAKHPUR: चक्कर आ रहा है या उल्टी महसूस हो रही है। कान में भारीपन है या सन्नाटे में भी सीटी की आवाज सुनाई दे रही है। अगर इसमें से कोई भी सिंप्टम्स आपको महसूस हो रहे हैं, तो आपको अलर्ट हो जाने की जरूरत है। इस प्रॉब्लम की वजह गैस या कुछ और नहीं, बल्कि कानों की प्रॉब्लम है, जिसे अगर टाइमली नहीं क्योर किया गया तो प्रॉब्लम बढ़ सकती है और पेशेंट्स के सुनने की शक्ति खत्म हो सकती है। डॉक्टर्स की मानें तो ठंड के मौसम से यह प्रॉब्लम हो सकती है, वहीं जो तेज आवाज के बीच रहते हैं, उनमें भी प्रॉब्लम कॉमन है। प्रिकॉशन ही इसका इलाज है, अगर टाइमली यह डायग्नोज हो जाए और प्रॉपर ट्रीटमेंट हो जाए, तो इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है।

एनआईसीयू में एडमिट बच्चों में रिस्क

सुनने की तकलीफ कई वजहों से हो सकती है। पैदाइश के वक्त बच्चों में जो प्रीटर्म (9 महीने से पहले) पैदा हुआ है या एनईसीयू में एडमिट हुए होते हैं, उनके कान की नसों में कमजोरी आने का रिस्क होता है। ऐसे में बच्चों की टाइम टू टाइम सुनने की स्क्रीनिंग जांच कराई जानी चाहिए। इसके अलावा कान में सूजन, कान के परदे के पीछे पानी भर जाना, कान में इंफेक्शन होना, परदे में सुराख या कान की हड्डी में गलन होने जैसे सिंप्टम्स भी दिखाई दे सकते हैं। इससे कान में वैक्स से लेकर टूमओर होने तक सुनने में मुश्किल आ सकती है। इतना ही नहीं कान पर चोट लग जाने की वजह से कई बार कान का पर्दा फट जाने के चांस बने रहते हैं।

मीनियर में होती है एेसी प्रॉब्लम

मीनियर रोग एक प्रकार आंतरिक कान का विकार है, जो सिर्फ एक कान को प्रभावित करता है। यह वो प्रॉब्लम है, जिसमें किसी को चक्कर, कानों में झींगुर जैसी आवाज या सीटी बजने जैसी प्रॉब्लम, कान में दबाव और श्रवण हानि बढ़ने जैसी प्रॉब्लम हो सकती है, जिसमें सुनवाई का नुकसान हो सकता है। मिनियर या टिनाइटस को हल्के में न लें, क्योंकि इससे परमनेंट हियरिंग लॉस हो सकता है। यह रोग बहुत परेशान करता है और थकान, भावनात्मक तनाव, डिप्रेशन और चिंता देता है। इस बीमारी से मेंटल और फिजिकल बैलेंस कम हो सकता है, जिससे एक्सिडेंट का खतरा बढ़ जाता है।

बीमारी के लक्षण

- बार बार चक्कर और उल्टी आना

- कम सुनाई देना

- कानों में गूंजने, बजने और सीटी की आवाज सुनाई देना।

- कान में भारीपन और दबाव महसूस होना।

बीमारी के कारण -

- लगातार कान बहना

- एलर्जी

- सर पर चोट

- माइग्रेन

- वायरल इंफेक्शन

- जेनेटिक प्रॉब्लम

- असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया

बॉक्स -

होम्योपैथी से हो सकता है प्रॉपर इलाज

होम्योपैथिक स्पेशलिस्ट डॉ। रूप कुमार बनर्जी की मानें तो होम्योपैथी पूरे व्यक्ति के रूप में चिकित्सा करता है, जैसे सिर का चक्कर के लिए बेस्ट होम्योपैथिक चिकित्सा का सेलेक्शन बीमारी के आधार पर किया जाता है। इसमें पेशेंट के कंप्लीट फिजिकल, मेंटल और पास्ट मेडिकल हिस्ट्री के साथ ही पूरे मामले का एनालिसिस करता है। साथ ही साथ मेंटल बिहेवियर, गड़बड़ी या संवेदनशीलता और रूपरेखाओं को ध्यान में रखा जाता है। योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक सिंप्टम्स के मुताबिक दवा देकर इस बीमारी को काफी हद तक ठीक कर दे सकते हैं।

वर्जन

वायरल इंफेक्शन, लाउड न्वाएज, कान पे चोट लगने की वजह से कान से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। सुनने में अगर कमी हो तो फौरन कान की जांच कराने की जरूरत है। कान की सुनने की प्रॉब्लम दवा से, ऑपरेशन से या सुनने की मशीन लगाकर ठीक की जा सकती है।

-डॉ। केतन अग्रवाल, एनईटी