Dangerous Keyboard

21 वीं सेंचुरी पूरी तरह से हाईटेक हो गई है। कंप्यूटर, लैपटाप या स्मार्ट फोन, सभी में दिन बीतने के साथ उनके फंक्शन बदल जाते है तो साफ्टवेयर हाइटेक हो जाते हैं। लोग घर बैठे कम्प्यूटर पर देश-विदेश की जानकारी ले रहे है। कंप्यूटर का की-बोर्ड एक ओर जहां उन्हें लाखों किमी दूर की जानकारी दे रहा है तो वहीं एक गंभीर बीमारी गिफ्ट में दे रहा है। अधिक की-बोर्ड का यूज और देर तक कंप्यूटर के सामने बैठना उन्हें रेयोमप्वॉड आर्थराइटिस सताने लगता है। मतलब कैलशियम की कमी। की-बोर्ड से जहां फिंगर और हैड में प्रॉब्लम हो रही है तो वहीं देर तक कंप्यूटर पर बैठने से कमर दर्द बड़ी समस्या बनता जा रहा है। क्योंकि फास्ट फूड के अधिक यूज से हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाती है। जिसके पेशेंट में यूथ की संख्या करीब तीन गुना बढ़ गई है। कुल मिलाकर कैल्शियम की कमी मतलब आस्टियोपोरोसिस। साथ ही यह रोग फीमेल में भी तीन गुना अधिक होता है।

एसी कर रहा हड्डी कमजोर

मौसम के चेंज ने एसी को टीनएजर्स का फेवरेट बना दिया है। वहीं यूथ के लिए ये एक मजबूरी भी है। क्योंकि दिन का आधा समय उनके एसी ऑफिस में बीतता है। साथ ही अब टीनएजर्स एसी में रह कर कंप्यूटर पर गेम खेलना अधिक पसंद करते है। इससे टीनएजर्स और यूथ दोनों विटामिन डी से पूरी तरह दूर होते जा रहे है। नतीजा बॉडी में कैल्शियम की कमी। क्योंकि विटामिन डी से मेटाबाइलॉज कैल्शियम बनता है, जो बॉडी के लिए बहुत जरूरी है। इसी कारण यूथ में आस्टियो पीनिया की प्रॉब्लम काफी बढ़ गई है। आस्टियो पीनिया होने के बाद आस्टियोपोरोसिस के चांसेस लगभग तय रहता है।

आस्टियो पीनिया बना रहा पोरोसिस का मरीज

कंप्यूटर, एसी के साथ बदली लाइफ स्टाइल ने यूथ को रिलेक्स तो दिया है, पर उन्हें कई तरह की बीमारियां भी दे रहा है। कंप्यूटर और एसी के यूज के साथ विटामिन डी की कमी यूथ की हड्डियों को कमजोर कर उन्हें आस्टियो पीनिया का मरीज बना रहा है। धीरे-धीरे यूथ की उम्र बढ़ेगी और आस्टियो पीनिया आस्टियोपोरोसिस में बदल जाएगी। कुछ साल पहले तक आस्टियोपोरोसिस 70 साल की एज के बाद होती थी। मगर बदली लाइफ स्टाइल के चलते यह बीमारी 50 साल की एज में होने लगी। मगर ऐसा ही रहा तो यह यूथ को भी सताएगी। वैसे भी इंडियन को फॉरेनर की तुलना में 10 साल पहले आस्टियोपोरोसिस का मरीज बना रहा है। इस टाइम इंडिया में साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग आस्टियोपोरोसिस से परेशान है जबकि दस साल पहले 2003 में यह संख्या ढाई करोड़ रुपए के आसपास थी।

अभी तक आस्टियोपोरोसिस 70 साल के बाद होती थी। मगर अब ये 50 साल की एज में ही सताने लगी है। हालांकि धीरे-धीरे यूथ भी इसकी चपेट में आ रहे हंै। क्योंकि कंप्यूटर और आधुनिक मशीनें यूथ को आस्टियो पीनिया का मरीज बना रही है। जिसके बाद आस्टियोपोरोसिस होना तय माना जाता है।

डॉ। इमरान अख्तर, सीनियर आर्थो सर्जन

बदलती लाइफ स्टाइल और कंप्यूटर ने छोटी सी एज में ही बड़ों की बीमारी लगा दी है। आस्टियोपोरोसिस आमतौर पर 70 साल के बाद होती थी, मगर अब यह 45 साल के बाद सताने लगी है। वहीं यूथ भी धीरे-धीरे इस बीमारी के चपेट में आ रहे है। विटामिन डी की कमी भी एक बड़ा रीजन है।

डॉ। ओपी चौधरी, सीनियर आर्थो सर्जन

बढ़ जाती है प्रॉब्लम

-छोटे से एक्सीडेंट में भी फ्रैक्चर की प्रॉब्लम बढ़ जाती है

-भारी वजन उठाना मुश्किल हो जाता है

-बॉडी के ज्वाइंट में पेन बढ़ जाता है

आस्टियोपोरोसिस के कारण

-कंप्यूटर का अधिक यूज

-एसी में रहने से विटामिन डी की कमी

-स्मोकिंग और एल्कोहल की लत

-फास्ट फूड का अधिक यूज

ऐसे बचे

-कैल्शियम वाले भोजन भरपूर ले

-35 साल के बाद हड्डियों की जांच जरूर कराएं

-पैदल चलने के साथ वेट वाली एक्सरसाइज जरूर करें

-स्मोकिंग और एल्कोहल का यूज न करें