गोरखपुर (ब्यूरो)। इस वायरस के चपेट में आने से फल देने वाले इन पौधों की ग्रोथ व उनकी प्रोडक्टिविटी पर गंभीर रूप से नुकसान होता है। लीफ कर्लिंग वायरस न सिर्फ भारत में तेजी के साथ फैल रहा है। बल्कि यह पहले से विश्व के पाकिस्तान, सउदी अरब, ओमान, बांग्लादेश में भी पहले से ही तबाही मचा रहा है। जो इंडिया में तेजी के साथ अपने पांव को पसार रहा है। हालांकि, इन वायरस के चपेट में आने वाले इन प्लांट्स पर उगने वाले फल और फ्रूट्स के सेवन से मानव जीव के शरीर पर कोई खास नुकसान नहीं है। लेकिन प्लांट्स पूरी तरह से इम्यूनिटी लेस हो जाते हैं, जिनमें पौष्टिक तत्व खत्म हो जाते हैैं। इसका खुलासा किया है डीडीयूजीयू के बायोटेक डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। डॉ। राजर्षि गौड़ संग रिसर्च स्कॉलर्स ने।

4 साल चली रिसर्च

बता दें, बायोटेक डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। डॉ। राजर्षि गौड़ संग उनकी प्लांट वायरोलॉजिस्ट टीम में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। अविनाश मारवाल, डॉ। राकेश कुमार वर्मा, रिसर्च स्कॉलर विनीता पांडेय व आरषी श्रीवास्तव ने मिलकर पिछले चार साल से 'चिल्ली पर लगने वाले वायरस पर स्टडी व उनके निदानÓ पर रिसर्च शुरू की। रिसर्च कार्य इंडिया के चार राज्यों में यूपी, हरियाणा, दिल्ली व छत्तीसगढ़ के जिले से कुल 80 सैैंपल कलेक्ट किए गए। सैैंपल कलेक्ट करने के दौरान रिसर्च कार्य पूरा होने के बाद इसे इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशन किया गया है। जो फ्रंटियर इन माइक्रो बायोलोजी, स्वीटजरलैैंड व थ्री बायोटेक, आस्ट्रेलिया में प्रकाशन हुआ है। डीडीयूजीयू बायोटेक की रिसर्च स्कॉलर विनीता पांडेय, आरषी श्रीवास्तव, मोदी यूनिवर्सिटी राजस्थान के डॉ। राकेश कुमार वर्मा और मोहनलाल सुखडिय़ा यूनिवर्सिटी, उदयपुर के डॉ। अविनाश मारवाल इस रिसर्च का हिस्सा रहे।

प्रोडक्टिविटी पर भारी नुकसान

प्रो। राजर्षि गौड़ बताते हैैं कि उन्होंने बताया कि गन्ना शोध संस्थान में गन्ना पर लगने वाले वाइरस के उपर रिसर्च कार्य किया था। तभी उन्होंने बाकी सब्जियों और फल देने वाले पौधे पर अटैक करने वाले वायरस पर रिसर्च की तो लीफ कर्लिंग वायरस का पता चला। यह भारत में ज्यादा तेजी के साथ फैल रहा है जो गोभी, बैगन, टमाटर और पपीता पर तेजी के साथ उसके 80-100 प्रतिशत तक के प्रोडक्टिविटी को नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन इस वायरस से इन पौधों को बचाने के लिए प्लांट ट्रॉजिट कर माल्यूकुलर टेक्नोलाजी की मदद से एक नए पौधों का डेवलपमेंट करना है। बायोटेक विधि से इसके वैक्सीन को डेवलप किया जाता है। ताकि इन पौधों की इम्यूनिटी बढ़ जाए, इसके लिए लीफ कर्लिंग के वायरस के जीन को डालकर उसके वैक्सीन को बनाया गया। ताकि नए पौधे में शुरुआती दौर में इस वैक्सीन को इंसर्ट कर दिया गया तो इन वायरस की चपेट में यह पौधे नहीं आए।

इन राज्यों से लिए सैंपल

- यूपी

- छत्तीसगढ़

- दिल्ली

- हरियाणा

इन देशों में है यह खतरनाक वायरस

- पाकिस्तान

- सउदी अरब

- ओमान

- बांग्लादेश

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बायोटेक डिपार्टमेंट संग दूसरी यूनिवर्सिटी की प्लांट वायरोलाजिस्ट टीम ने मिलकर जो लीफ कर्लिंग वायरस पर रिसर्च किया है। यह बेहद सराहनीय है।

प्रो। पूनम टंडन, वीसी, डीडीयूजीयू