-असली बदमाशों ने की वारदात तो बढ़ जाएगी पुलिस की मुश्किल

GORAKHPUR: जिले में अचानक लोगों के 'अपहरण' की घटनाएं सनसनी बनने लगी हैं। किसी के अचानक उठाए जाने पर परेशान हाल परिजन जब थाने पहुंच रहे तो सही जानकारी मिल रही। हाल के दिनों में दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें परिजनों ने पहले अपहरण का आरोप लगाया। घंटों परेशान होने के बाद पता लगा कि जिसकी तलाश चल रही है, उसे किसी अन्य जिले की पुलिस उठाकर ले गई है। पुलिस के इस तौर तरीके से जहां असल में अपहरण होने पर मुश्किल बढ़ जाएगी। वहीं, शहर के एक दवा कारोबारी को घर से 'अपहरण' करके रुपए वसूलकर छोड़ने के मामले में चौरीचौरा के एक दरोगा और दो सिपाहियों को एसएसपी ने सस्पेंड कर दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के लिए किसी को बुलाने पर बकायदा सूचना दी जानी चाहिए। इस तरह की मनमानी पर कार्रवाई की जाएगी।

केस एक:

थाने पर चलो, बड़े साहब ने बुलाया है

शाहपुर मोहल्ले के शॉपकीपर भरत सिंह गुरुवार रात साढ़े 10 बजे अपने घर पर थे। तभी बाइक सवार दो लोग पहुंचे। उनको बुलाकर कहा कि थाने पर चलो। बड़े साहब ने बुलाया है। थोड़ी देर में भरत का मोबाइल ऑफ हो गया। कोई संपर्क न होने पर परिवार के लोग परेशान हो गए। पत्नी ने इसकी सूचना पादरी बाजार पुलिस चौकी पर दी। पति के अपहरण का मामला बताकर कार्रवाई की गुहार लगाई। सीनियर पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप पर पता लगा कि उनको बस्ती जिले की पुलिस उठाकर ले गई थी।

केस दो

दुकान पर बैठा था उठा ले गए फोर व्हीलर सवार

खोराबार एरिया में भैसहा में अपने रिश्तेदार की दुकान पर बैठे किराना कारोबारी राजू का अपहरण 25 दिसंबर को हो गया था। फोर व्हीलर सवारों ने उनको जबरन अपने वाहनों में बिठाया। आनन-फानन में कहीं लेकर चले गए। परिजनों को जानकारी हुई तो वह लोग भागे हुए खोराबार थाना पर पहुंचे। जांच के बाद पता लगा कि व्यापारी को देवरिया पुलिस ले गई थी। हालांकि एक बार कुछ लोगों ने सरेराह राजू का अपहरण कर ि1लया था।

कार्रवाई पूरी करने को पुलिस करती 'अपहरण'

पुलिस के अपहरण की कहानी भी अजब है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि कई बार किसी मामले में अभियुक्त की तलाश चलती रहती है। ऐसे में उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम तलाश करती है। उसे व्यक्ति का लोकेशन ट्रैक होने पर पुलिस अचानक उठा ले जाती है। पुलिस ऐसा इसलिए करती है कि अपने एरिया में लेकर उसकी लिखा-पढ़ी पूरी कर सकें। वैध तरीके से कार्रवाई में पुलिस के सामने कई पेंच फंसते हैं। इसलिए पुलिस अक्सर लोगों को जहां-तहां से उठाकर अपनी तैयारी के अनुसार गिरफ्तारी दिखाती है। ताकि उनके मुकदमे की विवेचना में पेंच न फंसे। उधर, ऐसा भी होता है कि किसी के खिलाफ शिकायत मिलने पर दरोगा और सिपाही मनमानी भी कर जाते हैं। मामूली से लाभ के चक्कर में वह किसी को पूछताछ के लिए रास्ते से उठा ले जाते हैं। कई दिनों तक हिरासत में रखकर मामला मैनेज कराया जाता है।

दवा कारोबारी के 'अपहरण' में नपे दरोगा- सिपाही

तारामंडल, जैमिनी गार्डेनिया निवासी शिवांग सिंह को जबरन उठाकर चौरीचौरा थाना पर ले जाने के मामले में कार्रवाई हुई। एसएसपी ने दरोगा जगदंबा प्रसाद, हेड कांस्टेबल धर्मेद्र सिंह और अनिल चौरसिया को सस्पेंड कर दिया। तीनों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश भी एसएसपी ने दिया है। बताया जाता है कि शिवांग सिंह को चौरीचौरा के दरोगा और सिपाही जबरन घर से उठा ले गए थे। उनको थाने पर ले जाकर बदसलूकी की गई। फिर छोड़ने के बदले में रुपए लिए गए। तब उनको चौरीचौरा थाना से छोड़ा गया। एक अन्य दवा कारोबारी के साथ मिलकर शिवांग काम करते हैं। उनके खिलाफ चौरीचौरा में मौखिक शिकायत हुई थी। बिना किसी अधिकारी से अनुमति लिए पुलिस ने उनको घर से लेकर चली गई। इसकी शिकायत होने पर एसएसपी ने खुद पीडि़त से बातचीत की। तब उन्होंने दरोगा और सिपाहियों पर एक्श्ान लिया।

वर्जन

दरोगा और सिपाहियों के खिलाफ जांच की गई। प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता का मामला सामने आने पर उनको सस्पेंड किया गया। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी