कानपुर (ब्यूरो)। प्रदेश के छह सिटी के रोडवेज डिपो में ट्रेनिंग लेने के बाद भी 17 बेटियों के ङ्क्षपक बसें दौड़ाने में नियम का पेच फंस गया है। आउटसोर्सिंग पर ड्राइवर की नियुक्ति में दो साल पुराने भारी वाहन के ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस की अनिवार्यता आड़े आ रही है। इन बेटियों के 24 महीने की ट्रेनिंग पूरा करने का हवाला देते हुए यूपी परिवहन विभाग के हेड क्वार्टर से इस नियम में छूट मांगी गई है। छूट मिलने पर ही ये बेटियां सडक़ों पर ङ्क्षपक बसें चला सकेंगी।

कौशल विकास मिशन के तहत

कौशल विकास मिशन के तहत विकास नगर स्थित रोडवेज ड्राइङ्क्षवग ट्रेङ्क्षनग एंड रिसर्च इंस्टीट््यूट में महिलाओं को सात महीने की ड्राइविंग ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के बाद 17 युवतियों को 15 महीने की टेक्निकल ट्रेनिंग रोडवेज डिपो में दी गई। इस समय इनकी तैनाती कानपुर, आगरा, अलीगढ़, गाजियाबाद और लखनऊ डिपो में है। ट्रेनिंग पूरा होने के बाद आउटसोर्सिंग ड्राइवर पद पर इनकी नियुक्ति होनी है।

आउटसोर्सिंग पर रोडवेज बसें चलाने के लिए कम से कम दो साल पुराना भारी वाहन चलाने का लाइसेंस जरूरी होता है। ट्रेनिंग पाने वाली युवतियों में से सिर्फ तीन का लाइसेंस ही दो साल पुराना है। बाकी के लाइसेंस इससे कम समय के हैं।