कानपुर (ब्यूरो) 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में उन्मादी भीड़ ने विभिन्न स्थानों पर हमले कर 127 सिखों को मौत के घाट उतार दिया था। उस वक्त इन मामलों में 40 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें 29 में फाइनल रिपोर्ट और 11 मामलों में चार्जशीट अदालत में दाखिल की जा चुकी है। प्रदेश सरकार ने मई 2019 को फाइनल रिपोर्ट लगे मामलों की पुन: विवेचना के लिए एसआईटी का गठन किया था। 15 जून से एसआईटी ने फाइनल रिपोर्ट के नौ मामलों में गिरफ्तारियों का दौर शुरू किया था, जिसमें 28 हत्यारोपितों को जेल भेजा जा चुका है।

अर्मापुर फैक्ट्री गेट पर
एसआईटी के डीआइजी बालेंदु भूषण ने बताया कि एसआईटी ने सिख विरोधी दंगा में अब तक निराला नगर, दबौली, के ब्लाक किदवईनगर में हुए हत्याकांडों के आरोपियों की ही गिरफ्तारियां की हैं। शुक्रवार की रात एसआईटी ने अर्मापुर आयुध निर्माणी क्षेत्र में हुए हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारियां शुरू की। एक नवंबर 1984 को अर्मापुर फैक्ट्री गेट पर तीन और अर्मापुर स्टेट के अंदर दो सिखों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने अर्मापुर स्टेट में मारे गए पिता-पुत्र वजीर ङ्क्षसह व सतनाम उर्फ सिम्मी की हत्या के आरोप में 68 साल के ब्रजेश दुबे को उनके घर आवास विकास-3 पनकी और 60 साल के राजेंद्र कुमार जायसवाल उर्फ गुड्डू को उनके घर 412 के ब्लाक पनकी से गिरफ्तार कर लिया।