कानपुर (ब्यूरो) क्या आपने कभी अपने बच्चे को पुलिंग रिक्शा, ई रिक्शा, टैैंपो या ऑटो से स्कूल से वापस आते देखा हैैं, नहीं न क्योंकि आप तो घर के गेट के बाहर ही बच्चे के आने का इंतजार करते हैैं। हम आपको तस्वीरों के माध्यम से बताते हैैं कि रियलिटी क्या है?

पुलिंग रिक्शा :
रिक्शा चालक तो अपनी जगह पर मिलेगा लेकिन आपका लाडला रिक्शे में पीछे से धक्का लगा रहा होगा, धक्का लगाने के दौरान वह गिर भी सकता है लेकिन आपने जिसकी (रिक्शा पुलर) जिम्मेदारी पर बच्चे को स्कूल भेजा है, उसे इस बात की कतई चिंता नहीं है। बच्चों के लिए ये मस्ती है और रिक्शा चालक के लिए आराम, अगर हादसा होता है तो उसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार हैैं क्योंकि आपने ही अपने लाडले को पुलिंग रिक्शा से भेजा है। हो सकता है अगर आप देखने जाएं तो आपको भी अपना बच्चा रिक्शा पुलर की गद्दी पर बैठा रिक्शा चलाता दिख जाए।

ई रिक्शा : यूं तो ई-रिक्शा बच्चों को ले जाने के लिए पूरी तरह से अवैध है, लेकिन जरा तस्वीरों में देखिए। ई-रिक्शा चालक की जगह मासूम बैठा है, ये आपका भी बच्चा हो सकता है। ई-रिक्शा चालक लापरवाही से आधे खड़े और आधा लटक कर ई-रिक्शा चला रहा है। पीछे की सीट पर चार-चार और बच्चे को लाने ले जाने वाले भी। पूरी तरह से लापरवाही से ठूंस-ठूंस कर बच्चे और गार्जियन भरे हुए हैैं। गंदी तरह से ओवरटेक करना, सामने देखकर न चलाना और एक हाथ से ई-रिक्शे का हैैंडिल पकड़ कर दूसरे हाथ में मोबाइल, गले में ब्लूटूथ। इस तरह के सीन आमतौर पर आसानी से देखने को मिल जाते हैैं।

टेम्पो या ऑटो : स्कूलों के बाहर खड़े टेम्पो और ऑटो पर नजर डालें। ये बच्चों को ले जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित हैैं। लेकिन कुछ रुपये बचाने के लिए आप अपने लाडले का जीवन खतरे में डाल रहे हैैं। ऑटो या टेम्पो बच्चों को बिठाकर अनियंत्रित स्पीड से गाड़ी चलाते हैैं। अक्सर स्पीड ब्रेकर पर इन वाहनों का अगला शॉकर टूट जाता है और आगे बैठे बच्चे चुटहिल हो जाते हैैं। होली के बाद कैंट एरिया में टेम्पो का अगले पहिए का एक्सल टूटने से आगे बैठे दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। असुरक्षित सफर के दौरान इस तरह के हादसे अक्सर दिखाई दे जाते हैैं।

क्या हैं स्पीड के मानक
अगर आप ई-रिक्शा में बैठे अपने बच्चे को देखें तो आपको ई-रिक्शा वाले पर गुस्सा भी आएगा और अपने बच्चे की लाचारी भी सामने दिखाई देगी। सबसे बड़ी बात जो आपको समझ में आएगी वो है आपकी लापरवाही। जी हां, आम तौर पर ई-रिक्शा में चार सवारी बैठती हैैं। ऑटो रिक्शा में तीन और टेम्पो में सात। अब आपको हकीकत से रूबरू कराते हैैं कि ई रिक्शा में 10 बच्चे, ऑटो रिक्शा में छह से आठ और टेम्पो में 8 से 14 बच्चे बिठाए जाते हैैं। मानक के मुताबिक जिन वाहनों (बस और वैन)में स्कूली बच्चे जाते हैैं उनकी स्पीड 20 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटा होनी चाहिए लेकिन लापरवाही से चलाते हए ई रिक्शा चालक और ऑटो चालक भी ओवरस्पीड में गाड़ी चलाते हैैं।

पैरेंट्स से बात-चीत
- जो बच्चे ई-रिक्शा से स्कूल आते जाते हैं, उन पर रोक लगनी चाहिए। ई-रिक्शा में सफर करना बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। जिम्मेदारों को एक्शन लेना चाहिए।
- पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी है कि वो देखें कि उनके बच्चे किस तरह से स्कूल आते-जाते हैं। ई-रिक्शा में सफर करना कतई भी सेफ नहीं है। इन पर लगाम लगनी चाहिए।
- ई-रिक्शा से बच्चे आते जाते हैं, यह नियम विरुद्ध है। ऐसे ई-रिक्शा वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ई-रिक्शा से सफर करने के दौरान बच्चों की जिंदगी खतरे में रहती है। नियमित रूप से चेकिंग होनी चाहिए।
- कानपुर की रोड्स पर आसानी से देखा जा सकता है कि किस तरह से बच्चे अपनी जान हथेली में रखकर ई-रिक्शा में सफर करते हैं। स्कूल वाले भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं देते हैं।
- ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को ढोना गैर कानूनी है। जो बच्चे ई-रिक्शा से आते जाते हैं, उनकी जान खतरे में रहती है। इनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

ऑटो-टेंपो क्या स्कूली बच्चों को ले जाने के लिए मानक पर खरे उतरते है
बच्चों के स्कूल जाने के लिए स्कूल बस या स्कूल वैन मिलती है। लेकिन इन वाहनों में समय और चार्जेज दोनों ज्यादा लगते हैैं। इस वजह से लोग सस्ते साधनों का इस्तेमाल करते हैैं। हालांकि ये पूरी तरह से अनसेफ हैैं। आपको बताते चलें कि स्कूली वाहनों में सीसीटीवी जरूरी है, जो किसी भी ई रिक्शा और ऑटो टेम्पो में नहीं होता है। मानक के मुताबिक, ड्रइवर वर्दी में होना चाहिए लेकिन ई-रिक्शा और ऑटो में ड्राइवर वर्दी में नहीं होता। पुलिस से जारी किया गया चरित्र प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेेंस होना चाहिए लेकिन किसी भी ड्राइवर के पास चरित्र प्रमाण पत्र नहीं पाया जाता है और ड्राइविंग लाइसेंस 50 फीसद के पास नहीं होता है।

इस तरह बच्चे हैं असुरक्षित
- कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं
- ई-रिक्शा पूरी तरह से ओपन होते हैं
- बच्चों को आगे बिठा लेते हैं चालक
- रफ्तार पर लगाम नहीं
- ई-रिक्शा के पलटने का खतरा ज्यादा
- बिना ट्रेनिंग ई-रिक्शा दौड़ा रहे चालक
- अश्लील गाने भी बजाते हैं ई-रिक्शा चालक
- निर्धारित संख्या का ध्यान नहीं रखा जाता
- बच्चों से मनमाना किराया वसूला जाता
- स्कूल प्रबंधन से कोई सरोकार नहीं

आरटीओ से कोट
लगातार अभियान चलाया जाता है। अवैध वाहनों का चालान किया जाता है, स्कूलों के पास जल्द ही अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
सुनील दत्त, आरटीओ प्रवर्तन