KANPUR (8 July): Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University (सीएसजेएमयू) का अगले सेशन से स्टेट की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी होने का रूतबा समाप्त हो जाएगा। मौजूदा समय में सीएसजेएमयू से करीब 1050 से अधिक डिग्री कॉलेज एफिलिएटेड है। जिसमें करीब साढ़े छह लाख से अधिक स्टूडेंट्स विभिन्न कोर्सेस में अध्ययन कर रहे हैं। शासन की ओर से सीएसजेएमयू के टैरेटरी में शामिल चार जिलों को लखनऊ यूनिवर्सिटी के टैरेटरी में जोड़ने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद से सीएसजेएमयू को तगड़ा झटका लगने जा रहा है। यूनिवर्सिटी को एक ओर जहां आर्थिक रूप से काफी बड़ा नुकसान होगा, तो वहीं स्टूडेंट्स की संख्या में भी करीब 30 से 35 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इससे पहले सीएसजेएमयू से प्रयागराज, फतेहपुर और कौशाम्बी जिलें कुछ साल पहले हटा ि1लए गए थे।

1050 कॉलेज और 6.5 लाख से अधिक

शासन ने सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के टैरेटरी में आने वाले चार जिलों लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली को हटाने जा रहा है। इन चारों जिलों में सीएसजेएमयू से करीब 400 डिग्री कॉलेज एफिलिएटेड हैं। अब यह सभी कॉलेज लखनऊ यूनिवर्सिटी से संबद्ध हो जाएंगे। ऐसे में इन कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब दो लाख स्टूडेंट्स भी अब लखनऊ यूनिवर्सिटी में शामिल हो जाएंगे। जिस कारण सीएसजेएमयू के टोटल स्टूडेंट्स की संख्या करीब साढ़े चार लाख तक पहुंच जाएगी। वहीं कॉलेजों की संख्या 1050 से घटकर 550 से 600 ही रह जाएगी। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ। अनिल यादव ने बताया कि एक बार शासनादेश हो जाए इसके बाद कॉलेजों का सही आंकड़ा सामने आएगा.

40 प्रतिशत तक कम होगी आय

सीएसजेएमयू को अपनी आमदनी का सबसे ज्यादा पैसा कॉलेजों की एग्जाम फीस और मान्यता से आता है। चार सौ कॉलेजों के एक साथ दूसरे यूनिवर्सिटी में जुड़ने से सीएसजेएमयू को आर्थिक तौर पर बड़ा झटका लगेगा। यूनिवर्सिटी के ऑफिसर्स का कहना है कि इन जिलों में जितने भी डिग्री कॉलेज एफिलिएटेड हैं, उनकी संख्या दूसरे जिलों की तुलना में अधिक हैं। ऐसे में सीएसजेएमयू के सालाना होने वाले आमदनी में करीब 40 प्रतिशत का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा कॉलेज हरदोई जिलेे में है

अब केवल सात जिलें होंगे

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ। अनिल यादव ने बताया कि मौजूदा समय में सीएसजेएमयू प्रदेश के 11 जिलों में अपनी मान्यता देता है। लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली के हटने के बाद से यह संख्या घटकर सात जिले तक ही रह जाएगी। उन्होंने बताया कि इन जिलों के लखनऊ यूनिवर्सिटी में जाने के बाद हम अगले दो सालों तक रेगुलर एग्जाम यहां कराएंगे। इसके बाद केवल बैक पेपर ही यहां कराना होगा। तीन से चार सालों में सीएसजेएमयू इन जिलों में पूरी तरह से काम करना बंद कर देगा।

2016 में कटे थे तीन जिले

ज्ञात हो कि साल 2016 में स्टेट गवर्नमेंट ने प्रयागराज में प्रो। राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। इस यूनिवर्सिटी के गठन के समय सीएसजेएमयू से जुड़े तीन जिलों प्रयागराज, कौशाम्बी और फतेहपुर के करीब सौ से अधिक डिग्री कॉलेजों का विलय कर दिया गया था।

'इन चार जिलों के जाने से यूनिवर्सिटी पर इसका काफी असर पड़ेगा। हमारे करीब चार सौ कॉलेज और करीब दो लाख स्टूडेंट्स कम होने की उम्मीद है। बाकि का आंकलन आदेश आने के बाद किया जाएगा.'

डॉ। अनिल यादव, रजिस्ट्रार, सीएसजेएमयू