- मामले की जांच कर रहे जस्टिस चौहान आयोग को नहीं मिला पुलिस के खिलाफ कोई इविडेंस

- 9 महीने तक चली जांच, 130 पन्नों की रिपोर्ट के साथ 600 पन्नों के दस्तावेज किए गए शामिल

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KANPUR : बहुचर्चित बिकरू कांड के बाद कुख्यात विकास दुबे व उसके पांच साथियों को मुठभेड़ में मार गिराने वाली पुलिस टीम को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इन मुठभेड़ की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी जांच पूरी कर ली है। न्यायिक आयोग ने जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट व राज्य सरकार को सौंप दी है। सूत्रों का कहना है कि न्यायिक आयोग ने पुलिस टीम को क्लीन चिट दी है।

नहीं मिला एक भी गवाह

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया गया था। आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति एसके अग्रवाल व पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल थे। आयोग की जांच के दौरान पुलिस के दावों के विरुद्ध एक भी गवाह नहीं मिला। आयोग ने राज्य के गृह विभाग को मंडे को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। आयोग ने करीब नौ माह तक चली जांच के दौरान विकास दुबे व अन्य अपराधियों के परिजन, मीडियाकर्मियों व घटनास्थल के आसपास मौजूद रहे कई लोगों के बयान दर्ज किए। हालांकि उसे एक भी ऐसा इविडेंस नहीं मिला, जो पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हो।

जुलाई 2020 को गठित

गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जनता, मीडिया अथवा विकास दुबे के परिवार में से कोई भी व्यक्ति पुलिस के खिलाफ कोई साक्ष्य प्रस्तुत करने अथवा पुलिस के दावे को चुनौती देने सामने नहीं आया। जुलाई 2020 के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया गया था।

2 जुलाई की रात की है वारदात

दो जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे व उसके साथियों ने दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था। इसमें सीओ सहित 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इसके बाद तीन से 10 जुलाई 2020 के बीच पुलिस ने विकास दुबे, उसके साथी प्रेम प्रकाश पांडेय, अतुल दुबे, अमर दुबे, प्रवीण दुबे उर्फ बउवा व प्रभात को मुठभेड़ में मार गिराया था।

उज्जैन से लाते वक्त पलटी गाड़ी

विकास दुबे मध्य प्रदेश में उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में पकड़ा गया था। विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान रास्ते में पुलिस जीप पलट गई थी। पुलिस का दावा था कि विकास पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भाग रहा था। पुलिस की जवाबी फाय¨रग में मारा गया था। पुलिस मुठभेड़ पर कई सवाल उठे थे, जिसके बाद जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन हुआ था। कमेटी ने नौ माह बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी है। 130 पन्नों की इस रिपोर्ट के साथ मुठभेड़ से संबंधित करीब 600 पन्नों के दस्तावेज भी शामिल किए गए हैं।