कानपुर (ब्यूरो)। आपने डॉक्टर्स के मुंह से अक्सर सुना होगा और वार्निंग के तौर पर लिखा देखा होगा कि स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बीड़ी, सिगरेट से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। लेकिन, कानपुर रहने वालों के लिए बाइक, कार, जेनरेटर व फैक्ट्रीज आदि से निकलने वाला जहरीला धुंआ ही ये काम कर देता है। ये धुआं लोगों के फेफड़े को कमजोर कर रहा है। इसके चलते सीने में दर्द, लंबे समय तक खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो रही है। इस समस्या को नजर अंदाज करने पर मरीज के फेफड़े में पानी भर जाता है। जब तक मरीज को इसका पता चलता है, वह कैंसर की थर्ड व फोर्थ स्टेज पर पहुंच जाता है। जिसमें जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। लंग्स कैंसर के मामले शहर में तेजी से बढ़ रहे हैं।

सिटी में तेजी से बढ़ रही संख्या
जेके कैंसर अस्पताल के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि सिटी में लंग्स कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जनवरी 2023 से जुलाई तक जेके कैंसर अस्पताल में 105 मरीज फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित मिल चुके है। साल 2022 में ऐसे मरीजों की संख्या 180 थी। मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में प्रतिदिन एक से दो मरीज फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त होकर उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।

देरी बन जाती है मुसीबत
डॉक्टर्स के मुताबिक फेफड़ों में कैंसर होने का मुख्य कारण शौक में शुरू किया गया सिगरेट और बीड़ी का नशा है। जो लोग नशा नहीं करते हंै वे बाइक, कार, ट्रक, जेनरेटर, फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित धुंए से इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। शुरुआत में सीने में दर्द, खांसी व सांस लेने में दिक्कत होती है लेकिन लोग उसको नार्मल इंफेक्शन समझ कर इग्नोर कर देते हैं। जो बाद में घातक रूप ले लेता है। जेके संस्थान के डायरेक्टर डॉ। एसएन प्रसाद ने बताया कि फेफड़े शरीर में श्वसन क्रिया को सुचारु रूप से जारी रखने और अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाता है।

कार्बन डाईआक्साइड बाहर निकालता
फेफड़े, शरीर में ताजा ऑक्सीजन लाते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट गैसों को शरीर के बाहर निकालने में मदद करते हैं। ऐसे में इस अंग में होने वाली किसी भी तरह की समस्या काफी गंभीर और घातक हो सकती है। फेफड़ों में बार-बार पानी भरना और गांठ कैंसर का मुख्य कारण हैं।

यह हैं लक्षण
- लगातार लंबे समय तक खांसी की समस्या
- खांसी के साथ खून का आना
- सांस लेने में दिक्कत व सीने में दर्द
- अक्सर आवाज बैठना या मोटी हो जाना
- वजन लगातार कम होते जाना
- हड््डी और सिर में दर्द बना रहना
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जल्द से जल्द इलाज शुरू करें
डॉक्टर के मुताबिक लोगों में फेफड़े के कैंसर को लेकर अवेयरनेस नहीं है। यही कारण है कि फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित मरीज हमेशा चौथे स्टेज पर ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। तब तक देर हो चुकी होती है। ऐसे मरीजों में कीमोथेरेपी व रेडिएशन थेरेपी काम नहीं आती है। दवाओं की मदद से मरीजों को बचाने का प्रयास किया जाता है। यही मरीज अगर दूसरे व थर्ड स्टेज में अस्पताल आ जाते हैं तो उनकी जान बचाने में सफलता मिलने के उम्मीद काफी बढ़ जाती है।