मुसीबत आने पर भी मुस्कान न खोनाऐसी ही तो है आर्ट ऑफ लिविंग। कुछ इसी अंदाज में लोगों ने थर्सडे को जिंदगी जीने की कला जुदा अंदाज में सीखी। मौका था, फूलबाग ग्राउंड पर ऑर्गनाइज आर्ट ऑफ लिविंग के महासत्संग का।

ध्यान से हुई शुरूआत

आम तौर पर श्रीश्री कासत्संग ध्यान के साथ खत्म होता है, लेकिन यहां महासत्संग ध्यान के साथ शुरु हुआ। ध्यान के बाद श्रीश्री ने साधकों को आर्ट ऑफ लिविंग के टिप्स दिए। साधकों की खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा जब श्रीश्री स्टेज से अटैच्ड प्लेटफॉर्म पर चलकर साधकों के बीच आ गए। प्लेटफॉर्म पर रखी टोकरियों से उन्होंने गुलाब की पंखुडिय़ां निकालकर साधकों की ओर प्रसाद के रूप में उछाली।

भजनों पर झूमे साधक

सत्संग के साथ-साथ मेडीटेशन का कॉम्बिनेशन वाकई शानदार रहा। स्टेज पर स्प्रिचुअल गुरू श्रीश्री रविशंकर के आने पर भजन सुनाए गए। सत्संग के लिए बंगलुरू से ट्रूप आया था। ट्रूप ने ‘जय-जय गोविंद हरे, जय-जय गोपाल हरे,’ ‘सद्गुरू तुम्हारे प्यार ने जीना सिखा दिया,’ मेहरबान आ गया मेहरबानी लुटाने, ‘आओ लूटो दीवानों रहमतों के खजाने’ जैसे भजन सुनकर साधक मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगे।