-जिस मामले में पुलिस ने जेल भेजकर चार्जशीट भी लगा दी, विभागीय अफसर 8 साल में भी पूरी नहीं कर पाए जांच

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KANPUR : यूपीसीडा में 2.11 करोड़ के घोटाले के मामले में पुलिस की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं। विभागीय जांच में आरोपी प्रधान महाप्रबंधक अरुण कुमार मिश्रा पर अफसरों ने खूब मेहरबानी की। बचाव की वजह से ही आठ साल से जांच अटकी पड़ी है। अभी तक जांच में अरुण पर आरोप तक नहीं सिद्ध कर पाए। पुलिस ने इन सभी बिंदुओं पर तफ्तीश की तो कई सवालों के जवाब विभागीय अफसरों ने नहीं दिए। कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में इन सभी बिंदुओं का जिक्र किया गया है।

जांच से रखा बाहर

पाली-चकेरी सड़क का निर्माण पीडब्ल्यूडी ने किया था , लेकिन यूपीसीडा ने फर्जीवाड़ा कर इस सड़क को कागज पर ही बना दिया और 2.11 करोड़ रुपये का गबन किया गया। ये मामला आठ साल पुराना है। यूपीसीडा ने कंसलटेंट दिनेश्वर दयाल से जांच कराई। जिसके आधार पर केस दर्ज कराया। जिसमें अधिशाषी अभियंता अजीत सिंह, सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह, अवर अभियंता एके वर्मा व ठेकेदार सतीश को आरोपी बनाया गया था। इस जांच से अरुण का नाम बाहर था। वहीं तत्काल एक विभागीय जांच शुरू की गई थी। इधर पुलिस ने मामले में अरुण मिश्रा को भी आरोपी बनाया। जांच पूरी कर जेल भी भेज दिया। वहीं यूपीसीडा की विभागीय जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

फंस सकते हैं कई अफसर

पुलिस ने फिलहाल पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी है। जांच के दौरान पुलिस ने यूपीसीडा से कई अहम जानकारियां मांगी थीं। लेकिन,उपलब्ध नहीं कराई गईं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सभी जानकारियां सामने आएंगी तो कई और अफसर घेरे में आ जाएंगे।