कानपुर (ब्यूरो)। एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की कानपुर यूनिट ने अवैध रूप से संचालित हो रहे तीन टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश किया है। यहां से इंटरनेशनल गेट वे को बाईपास करके विदेशों से बातचीत कराई जा रही थी। आशंका है कि इनका उपयोग टेरर फंडग और हवाला कारोबार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जा रहा था। एटीएस ने दो आरोपियों को अरेस्ट किया है, जिनके पास से अब तक के सबसे बड़े अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से जुड़े उपकरण बरामद हुए हैं। आरोपियों से पूछताछ में सामने आया है कि इस खेल का मास्टर माइंड मुम्बई में बैठा है। वहीं एटीएस को गिरोह से जुड़े करीब एक दर्जन लोगों की तलाश है। तीनों टेलीफोन एक्सचेंज रिहायशी क्षेत्रों में संचालित हो रहे थे।


किराए के फ्लैट में चल रहा था एक्सचेंज
एटीएस को पिछले कई दिनों से शहर में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित होने की सूचना मिल रही थीं। इस पर एटीएस कानपुर यूनिट के डिप्टी एसपी सुशील कुमार ङ्क्षसह और इंस्पेक्टर पंकज अवस्थी के साथ पूर्वी जोन की पुलिस ने कोतवाली थाना क्षेत्र में लालइमली से ग्वालटोली जाने वाली रोड पर सिविल लाइन स्थित पैराडाइज बिङ्क्षल्डग में छापा मारा। यहां पर किराए का फ्लैट लेकर रहने वाले शाहिद जमाल पुत्र जमालुद्दीन इराकी को पकड़ा गया। तलाशी के दौरान शाहिद के बेडरूम में पांच मशीनों वाला अवैध टेलीफोन एक्सचेंज व उपकरण बरामद हुए। इसके बाद शाहिद से पूछताछ के आधार पर एटीएस जाजमऊ मदीना मस्जिद के पास स्थित केडीए कालोनी स्थित एक घर पहुंची। यह घर शाहिद ने किराए पर ले रखा था और यहां से भी चार मशीनों का सेट सक्रिय था।


इंटरनेशनल को लोकल कॉल में चेंज कर देते
दोपहर बाद एटीएस की टीम गांधीनगर स्थित नवाब हाता पहुंची। यहां पर मिर्जा असद पुत्र अफसर हुसैन को पकड़ा गया। बेगमगंज निवासी मिर्जा असद ने किराए पर मकान लेकर चार मशीनों वाला एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का सेटअप लगाया हुआ था। पुलिस ने इस तीनों ही स्थानों से इंटरनेशनल कॉल को लोकल काल में चेंज करने वाले उपकरण यानी सिम बाक्स की 17 मशीनों के साथ ही चार राउटर, 6 मोबाइल, दो लैपटाप और एयरटेल व बीएसएनएल के 4059 प्री एक्टीवेटेड सिम बरामद किए हैं। एटीएस थाने में संबंधित मामले में धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश, भारतीय तार अधिनियम-1885, सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधित) अधिनियम 2008 और 3/6 भारतीय बेतार यांत्रिकी अधिनियम 1933 में मुकदमा दर्ज किया गया है।


ऐसे काम करते हैं अवैध टेलीफोन एक्सचेंज
इंटरनेशनल कॉल के दौरान संबंधित कंपनियों द्वारा अनुमति प्रदान की जाती है। इसे इंटरनेशनल गेटवे कहा जाता है। इसका रिकार्ड मौजूद रहता है और समय-समय पर सुरक्षा एजेंसियां इस रिकार्ड के बारे में एजेंसियों से जानकारी भी लेती हैं। जबकि अवैध टेलीफोन एक्सचेंज में सिम बाक्स की मदद से इंटरनेशनल कॉल को लोकल काल में परिवर्तित कर दिया जाता है। इससे इंटरनेशनल गेटवे बाईपास होता है और वहां काल से संबंधित डाटा रिकार्ड में नहीं आता। महानगर में जो अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े गए हैं, उनसे प्रमुख रूप से पाकिस्तान और खाड़ी देशों से बात हो रही थी, जिसकी वजह से टेरर फंङ्क्षडग व हवाला कारोबार पर शक जताया जा रहा है।