कानपुर(ब्यूरो)। स्टेशन पर लाखों पैसेंजर्स की सेहत के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। लंच और ब्रेकफास्ट के नाम पर पैसेंजर्स को जो खिलाया जा रहा है, वो खाना कहां बना, किसने बनाया, कब तक सुरक्षित रहेगा, कोई नहीं जानता। क्योंकि पैकेट पर न निर्माता का नाम लिखा जा रहा है, न मैन्यूफैक्चरिंग डेंट और न ही एमआरपी। फ्राइडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम खाद्य सामग्री की बिक्री व मैन्युफैक्चरिंग में चल रहे खेल का खुलासा करने के लिए रियलिटी चेक के लिए स्टेशन पहुंची तो यही हकीकत सामने आई।

अधिकारियों की मिलीभगत से

प्लेटफार्म नंबर एक के साथ दो-तीन, चार-पांच समेत लगभग सभी प्लेटफार्म पर खाद्य सामग्री की बिक्री के बनाए गए नियमों की खुलेआज धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। जो भी खाने का का सामान बेचा जा रहा उसमें नियमानुसार निर्माता का नाम, मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और एमआरपी नहीं लिखा था। जिसकी वजह से वेंडर्स लंच पैकेट को मनचाहे दामों में बेच रहे थे। वहीं अगर पैसेंजर क्वालिटी को लेकर कोई शिकायत करना चाहे तो किसके नाम से करेगा। जब बनाने वाले का नाम ही नहीं पता तो एक्शन किस पर होगा। ऐसा नहीं है कि यह सब रेलवे अधिकारियों को पता नहीं है। उनकी मिलीभगत से ही पूरा खेल हो रहा है।

वर्दी में घूम रहे अवैध वेंडर्स

सोर्सेस की मानें तो कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर दर्जनों की संख्या में अवैध वेंडर्स स्टेशन में कार्यरत ऑथराइज वेंडर्स की वर्दी पहन कर घूम रहे हैं। बीते दिनों एसीएम के औचक चेकिंग करने पर आधा दर्जन से अधिक ऐसे वेंडर स्टेशन पर खाद्य सामग्री बिक्री करते हुए पकड़े गए थे। जोकि पकड़े जाने पर न तो आईडी दिखा पाए थे और न ही उनके पास मेडिकल कार्ड था।

नियमानुसार यह होना चाहिए

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर बिक्री वाली खाद्य समाग्री के पैकेड में निर्माता का नाम, उत्पादन की तिथि, उपयोग की वैद्यता अवधि, बिक्री मूल्य की डिटेल प्रिंट होना अनिवार्य है। जिसको वर्तमान में सेंट्रल स्टेशन में एक-दो संचालक ही फॉलो कर रहे है। बाकी 98 परसेंट फूड स्टॉल संचालक इस नियम को फॉलो नही कर रहे हैं। यहीं कारण है कि वह पैसेंजर्स को लंच के नाम पर कुछ भी मनचाहे रेट में बिक्री कर रहे हैं।

जीएम ने जांच के दिए आदेश

सोर्सेस की मानें तो दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में खबर प्रकाशित होने के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से यह मामला एनसीआर रीजन के जीएम के सामने पहुंचा। मामल पैसेंजर्स के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के बाद उन्होंने इसको गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करने के आदेश डिवीजन अधिकारियों को दिया है।

पैक्ड पके हुए खाने के पैकेट में रेट, मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट समेत मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का भी नाम प्रिंट होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

संतोष त्रिपाठी, एसीएम, कानपुर सेंट्रल स्टेशन