- पाकिस्तान से 28 साल बाद अपने घर पहुंचे शमसुद्दीन का गर्मजोशी से किया गया स्वागत

- बोले-इंडियन मुस्लिम्स के साथ होता है गलत बर्ताव, पड़ोसी मुल्क में माना जाता है दुश्मन

kanpur : पाकिस्तान से 28 साल बाद आखिर शमसुद्दीन अपनी सरजमीं कानपुर पहुंच ही गए। उनके घर आते ही परिजन और मोहल्ले वालों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और फूलों की माला पहनायी। घर पहुंचने पर परिजनों से गले मिलकर पहले तो खुशी में वे खूब रोए फिर बोले-पाकिस्तान जाकर बहुत बड़ी गलती कर दी, अपना देश ही सबसे प्यारा है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में मुहाजिरों (भारत से जाकर वहां बसे लोग) के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया जाता है, भारतीयों के साथ दुश्मनों वाला सुलूक होता है।

28 साल बाद देखी कंघी मोहाल की गली

बातचीत के दौरान शमसुद्दीन ने बताया कि कंघी मोहाल की इस गली को देखने के लिए 28 साल का इंतजार करना पड़ा। पाकिस्तान से इतने जख्म मिले कि जेहन में ये गलियां हमेशा याद आतीं थीं। ख्वाबों में कभी पुराने दोस्त दिखाई पड़ते थे तो कभी कानपुर की गलियां। 8 साल 1 दिन लाहौर की जेल में यातनाओं का दौर सहने वाले शमसुद्दीन अपने वतन की सरकार, पुलिस और मीडिया के उन लोगों के शुक्रगुजार हैं। जिनकी भूमिका उनके वतन तक पहुंचने में है। जिन बच्चों को कभी गोद में खिलाया था आज उन्हीं के गले से लगकर जब पुरानी यादें ताजा हुईं तो बरबस ही आंखों के आंसुओं की धार बहने लगी।

क्या है पूरा मामला?

कानपुर में कंघीमोहाल के रहने वाले शमसुद्दीन 1992 में 90 दिन का वीजा लगवाकर पाकिस्तान चले गए थे। 1994 में पाकिस्तान की नागरिकता मिलने पर वहीं बस गए थे। कुछ सालों के बाद 2012 में पाकिस्तान सरकार ने जासूसी का आरोप लगाकर उन्हें अरेस्ट कर लिया था और करांची की लाडी जेल में बंद कर दिया था।

रिहाई होने पर आई वतन की याद

आठ साल बाद रिहाई मिली तो उन्होंने अपने वतन की राह पकड़ी। पूरे 28 साल के बाद उनकी अपने वतन वापसी हुई और अमृतसर तक छोड़ा गया। कानपुर से उनके भाई मिलने के लिए अमृतसर गए और प्रशासन से जल्द घर भिजवाने की गुहार लगाई। सभी प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद कानपुर पुलिस की टीम उन्हें लाने अमृतसर गई थी। दीपावली के दूसरे दिन पुलिस टीम शमसुद्दीन को लेकर शहर आ गई।

ये दिवाली जीवन भर रहेगी याद

थाना बजरिया में सीओ ने माला पहनाकर और मुंह मीठा कर उनका स्वागत किया। इस दौरान शमसुद्दीन की आंखों से आंसू बहने लगे, उन्होंने कहा कि ये दीपावली उनके लिए जीवन भर यादगार रहेगी। इसके बाद पुलिस उन्हें कंघी मोहाल स्थित घर ले गई। शमसुद्दीन के आने को लेकर पहले ही मोहल्ले में लोग एकत्र थे। भीड़ ने उन्हें घेर लिया और फूल माला पहनाकर गले मिले। वर्षों बाद घर वापस आने की मुबारकबाद दी गई। घर में इंतजार कर रही बेटियां व परिवार के सदस्य शमसुद्दीन से गले मिलकर रोने लगे।

पाकिस्तान में रिश्वतखोरी चलन में

शमसुद्दीन ने बताया कि पाकिस्तान में भारतीयों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार होता है। पाकिस्तान में रिश्वतखोरी और आराम करने का चलन है। उन्होंने कहा कि वीजा अवधि खत्म होने के बाद दोनों देशों में फंसे लोगों को घर वापस जाने की सहूलियत मिलनी चाहिए।