निचली अदालत के जज शाहरुख अर्जुमंद ने ओसामा बिन लादेन की तीन विधवाओं और दो बेटियों को 45 दिनों की सजा सुनाई और 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।

इस्लामाबाद स्थित बीबीसी संवाददाता इरम अब्बासी के मुताबिक अदालत ने सजा पूरी होने के बाद ओसाम बिन लादेन के परिवार वालों को अपने अपने देश प्रत्यर्पण करने का भी आदेश दिया।

पिछले साल दो मई को ऐबटाबाद में अमरीकी सैनिकों ने गुप्त अभियान कर अल कायदा के प्रमुख और दुनिया के मोस्ट वांटेड व्यक्ति ओसामा बिन लादेन को मार दिया था।

अमरीकी कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने ओसामा बिन लादेन की तीन विधवाओं और दो बेटियो को हिरासत में लिया था। उनकी दो विधवाओं का संबंध सऊदी अरब से है जबकि तीसरी यमन की नागरिक हैं।

इस्लामाबाद में नजरबंदी

पिछले हफ्ते गृह मंत्री रहमान मलिक ने कहा था कि ओसामा बिन लादेन की तीन विधवाओं और दो बेटियों को पाकिस्तान में अवैध रूप से रहने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

अधिकारियों ने ओसामा बिन लादेन की तीन विधवाओं और दो बेटियों को इस्लामाबाद से एक घर में रखा था, जिसको सब-जेल घोषित किया गया था।

ओसामा की एक यमनी विधवा एमल अहमद अब्दुलफतह ने जाँचकर्ताओं को बताया था कि ओसामा बिन लादेन वर्ष 2002 से पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में रह रहे थे।

29 वर्षीय यमनी महिला के मुताबिक वह किसी मुजाहिद से शादी करना चाहती थी इसलिए वह वर्ष 2000 में पाकिस्तान पहुँची और अफगानिस्तान के शहर कंधार में उनकी ओसामा बिन लादेन से शादी हुई।

उनके मुताबिक ओसामा बिन लादेन उस समय अपनी तीन पत्नियों और कुछ अरब परिवारों के साथ रहते थे और जब 11 सितंबर 2001 को अमरीका पर हमला हुआ तो पूरा परिवार बिखर गया।

उन्होंने बताया था कि अमरीका में हुए हमलों के बाद वह 2002 में पेशावर शहर में ओसामा से फिर मुलाकात हुई, जहाँ से वह स्वात घाटी चले गए थे और वहाँ करीब नौ महीने रहे।

उन्होंने बताया कि वह ओसामा बिन लादेन के साथ खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के चार शहरों में रही थी लेकिन उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि उस दौरान वह किसी पाकिस्तानी अधिकारी से संपर्क में थे।

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