कानपुर(ब्यूरो)। जब हौसले बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान होती है। यह कहावत को चरितार्थ किया कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पवित्र कुमार ने। पवित्र कुमार आंखों से ब्लाइंड है, लेकिन सेंट्रल स्टेशन में विभिन्न डिपार्टमेंट के आफिसों को पवित्र ने कदम से गिन रखा है। एक आफिस से दूसरे आफिस में डाक पहुंचाने में उसको उतना ही समय लगता है। जितना कि आम व्यक्ति को। पवित्र कुमार के इस हौसले को रेलवे अधिकारी भी सलाम करते हैं।

दिव्यांग कोटे से 2013 में हुई थी ज्वाइनिंग
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन में फोर्थ क्लास में कार्य पवित्र कुमार की ज्वाइनिंग प्रयागराज में 2013 में दिव्यांग कोटे से हुई थी। प्रयागराज स्टेशन पर पवित्र कुमार ने डाक पत्र को एक आफिस से दूसरे आफिस पहुंचाने का काम करता था। पांच साल पहले उसका ट्रांसफर कानपुर स्टेशन हो गया। ट्रांसफर के कानपुर में भी पवित्र ने उसी हौसले से काम किया। जिस हौसले से उसने प्रयागराज में किया था। कुछ दिनों के अंदर ही दृष्टिहीन पवित्र ने स्टेशन के सभी आफिसों को अपने कदमों से नाम लिया।

हर दिल में बसते पवित्र
कानपुर सेंट्रल स्टेशन के कामर्शियल डिपार्टमेंट में कार्यरत पवित्र, अपने आफिस के सभी इम्प्लॉय व अधिकारियों के दिल में बसते हैं। ऐसा नहीं कि लोग उनको दिव्यांग होने की सहानुभूति की वजह से प्यार करते हैं। बल्कि उनके कार्य और हौसले की वजह से सम्मान करते हैं। अधिकारी बताते है कि पवित्र के जवान में किसी काम को लेकर न नहीं निकलता, वह हर काम को एक चैलेंज के रूप में लेते हैं।

पहले हुई थोड़ी परेशानी
पवित्र कुमार ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को बताया कि जब वह कानपुर में नए-नए आए थे तो कुछ माह थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने स्टेशन के सभी आफिस को अपने कदमों से नाप कर अपने दिमाग में उसका मैप तैयार कर लिया। यहीं कारण है कि आज वह बिना किसी सपोर्ट के स्टेशन के विभिन्न एक दर्जन से अधिक डिपार्टमेंट में डाक पहुंचाते हैं।