KANPUR: स्वास्थ्य विभाग की ओर से भले ही सरकारी और निजी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था होने का दावा किया जाए, लेकिन हकीकत पूरी तरह सिफर है। कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को ऑक्सीजन का इंतजार करना पड़ रहा है। यह इंतजार भी इतना लंबा होता है कि उससे पहले मौत आ जाती है। कुछ रोगी तो हांफते हुए आ रहे हैं और कुछ ही घंटों में उनकी सांसें शरीर का साथ छोड़ दे रही हैं। कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अधिग्रहीत किए गए नर्सिंगहोम ने भी ऑक्सीजन की समस्या पर हाथ खड़े कर दिए हैं।

24 घंटे का बैकअप

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे का जरूर बैकअप आ गया है, लेकिन यहां छोटे सिलेंडरों की किल्लत बरकरार है। थर्सडे को करीब 165 छोटे सिलेंडर आए, जिसे कुछ ही देर में मरीजों को दे दिया गया। कुछ अन्य सिलेंडर रात में आने की संभावना है। यही हाल निजी कोविड अस्पतालों का भी है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ¨प्रसिपल प्रो। आरबी कमल ने बताया कि छोटे सिलेंडरों की समस्या है। कंपनी की कई गाडि़यां दिन में कई चक्कर लगा रही हैं। तीन निजी वाहन भी इसी काम के लिए लगाए गए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर संदेश मौर्या ने बताया कि गुरुवार को 14 टन ऑक्सीजन है।

कोविड नर्सिंगहोम ने खड़े किए हाथ

कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अधिग्रहीत किए गए नर्सिंगहोम ने भी ऑक्सीजन की समस्या पर हाथ खड़े कर दिए हैं.उन्होंने मंडलायुक्त, डीएम और सीएमओ को पत्र लिखकर ऑक्सीजन की आपूर्ति कराने की मांग की है। इसमें कल्याणपुर के दो और बर्रा का एक हॉस्पिटल शामिल है।

पीड़ा का टूटा पहाड़

1-न बेड मिला न ऑक्सीजन

बर्रा के विष्णु शंकर पांडेय की पत्नी सुनीता पांडेय को सांस लेने में तकलीफ होने पर हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। यहां उनको बेड नही मिल सका। उनकी हालत बिगड़ती चली गई। इमरजेंसी में ऑक्सीजन के छोटे सिलेंडर उपलब्ध नहीं थे। घरवालों से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। इसी बीच सुनीता की सांसें उखड़ गई।

2-सांसों ने छोड़ दिया साथ

शुक्लागंज की 78 वर्षीय भगवान देवी को सांस फूलने की समस्या पर घरवाले हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर आए। यहां पर उन्हें ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। स्ट्रेचर पर इलाज शुरू हो गया। परिवार वाले दो घंटे तक इधर उधर परेशान हुए, लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिल सका। इस बीच सांसों ने साथ छोड़ दिया।