कानपुर(ब्यूरो)। कैंसर से पीडि़त बच्चों के पेरेंट्स को अब उनके इलाज के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। लखनऊ के पीजीआई और केजीएमयू की दौड़ भी नहीं लगानी पड़ेगी। अपने ही शहर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द कैंसर पीडि़त बच्चों को बेस्ट ट्रीटमेंट मुहैया हो सकेगा। इसको लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने कवायद शुरू कर दी है। बता दें कि वर्तमान में कानपुर के जेके कैंसर हॉस्पिटल में बच्चों का ट्रीटमेंट नहीं होता है।

एमओयू किया गया साइन
प्रदेश में कैंसर पीडि़त बच्चों को बेहतर ट्रीटमेंट मुहैया कराने के लिए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट ने कवायद शुरू कर दी है। राजकीय मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में सुविधाएं और संसाधन मुहैया कराने के लिए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट ने एमओयू साइन किया है। अब शासन की टीम जीएसवीएम समेत यूपी के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण कर हालात का जायजा लेगी। जिसके बाद कैंसर ट्रीटमेट के लिए संसाधन व सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा।

70 परसेंट को नहीं मिल पाता ट्रीटमेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। डॉ। संजय काला और नोडल आफिसर डॉ। मनीष सिंह ने बताया कि बच्चों में कैंसर के ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदेश में सिर्फ एक-दो अस्पतालों में ही है। इस वजह से महज 30 प्रतिशत बच्चों को ही ट्रीटमेंट मिल पाता है। जबकि 70 परसेंट बच्चे ट्रीटमेंट न मिल पाने के कारण दम तोड़ देते है। इस समस्या को देखते हुए सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट ने एमओयू साइन किया है। इसके तहत प्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में कैंसर पीडि़त बच्चों के ट्रीटमेंट की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। जिसमें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज भी शामिल है।

जेके कैंसर में नहीं है सुविधा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नोडल ऑफिसर डॉ। मनीष सिंह ने बताया कि शासन ने मेडिकल कॉलेज में कैंसर ट्रीटमेंट के लिए वर्तमान स्थिति समझने को तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। जो चिन्हित मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों का इंस्पेक्शन करेगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही इंस्पेक्शन करने के लिए टीम आ सकती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कानपुर में कैंसर ग्रसित बच्चों के ट्रीटमेंट के लिए कोई भी सुविधा नहीं है।

बच्चों में जेनेटिक होता कैंसर
जेके कैंसर हॉस्पिटल के डॉ। जीतेंद्र कुमार ने बताया कि कैंसर होने का प्रमुख कारण धुम्रपान व तम्बाकू का सेवन होता है। वहीं बच्चों में कैंसर का प्रमुख कारण जेनेटिक होता है। बच्चों में कैंसर के लक्षण भी नहीं दिखाई देते है। बच्चों में सबसे अधिक ब्लड कैंसर की समस्या होती है। यहीं करण है कि कैंसर ग्रसित बच्चों का ट्रीटमेंट चिन्हित हॉस्पिटल में ही होता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पीजीआई व केजीएमयू में पीडियाट्रिक आंकोलॉजी डिपार्टमेंट है। जहां ऐसे बच्चों का ट्रीटमेंट संभव है। अधिकतर बच्चों में बोन मैरो और ब्लड कैंसर की समस्या होती है।

जेके कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर पीडि़त बच्चों का ट्रीटमेंट नहीं होता है। इसके लिए पीडियाट्रिक आंकोलॉजी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की जरूरत होती है जो कि यहां नहीं हैं। कैंसर ग्रसित बच्चों के साल में पांच से छह केस आते हैं। जिनको पीजीआई व केजीएमयू रेफर कर दिया जाता है।
डॉ। जीतेंद्र कुमार, जेके कैंसर हॉस्पिटल